अब कनाडा की तरह अमेरिका आरोप लगा रहा है लेकिन इस पर भारत की प्रतिक्रिया वैसी नहीं है, जैसी कनाडा के आरोपों पर थी। तभी यह चिंता की बात लगती है क्योंकि इस तरह की घटनाओं और आरोपों से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भारत की एक सभ्य, उदार और लोकतांत्रिक देश की छवि प्रभावित होती है।
खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश में अमेरिका द्वारा भारत के एक अधिकारी के शामिल होने का आरोप लगाना सचमुच गंभीर चिंता विषय है। अमेरिका के आरोपों पर पहली प्रतिक्रिया में भारत ने कहा है कि यह ‘चिंता का विषय’ है और ‘भारत सरकार की नीतियों के विपरीत है’। भारत ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार तय करेगी कि आगे क्या करना है। जिस दिन इस मामले का खुलासा ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ द्वारा किया गया था उस दिन से भारत की एक आधिकारिक लाइन रही है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, ट्रैफिकिंग, हथियार कारोबारियों और चरमपंथियों के बीच का नेक्सस सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
इससे लग रहा है कि भारत सरकार यह बताना चाह रही है कि अगर दुनिया के किसी देश में किसी चरमपंथी की हत्या हो रही है तो या हत्या की साजिश रची जा रही है तो उसके पीछे अपराधियों के अंतराष्ट्रीय गिरोहों के आपसी टकराव का हाथ है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में कनाडा, ब्रिटेन और पाकिस्तान में ऐसे कई अलगाववादियों और आतंकवादियों की हत्या हुई है या संदिग्ध स्थितियों में मौत हुई, जो भारत में वांछित थे। हालांकि इसके उलट भारत में यह धारणा बनाई जा रही है कि भारत विदेशों में छिपे देश के दुश्मनों का सफाया कर रहा है। सोशल मीडिया के जरिए भारत की सॉफ्ट स्टेट की छवि को बदलने की कोशिश हो रही है। कुछ समय पहले कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई थी। तब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रुडो ने आरोप लगाया कि भारत की एजेंसियां इसके पीछे हैं। भारत ने न सिर्फ इसे बेतुका और आधारहीन बता कर खारिज किया, बल्कि कनाडा के साथ कूटनीतिक संबंधों में दूरी भी बनाई। अब कनाडा की तरह अमेरिका आरोप लगा रहा है लेकिन इस पर भारत की प्रतिक्रिया वैसी नहीं है, जैसी कनाडा के आरोपों पर थी। तभी यह चिंता की बात लगती है क्योंकि इस तरह की घटनाओं और आरोपों से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भारत की एक सभ्य, उदार और लोकतांत्रिक देश की छवि प्रभावित होती है।
अमेरिका ने सिर्फ आरोप नहीं लगाए हैं, बल्कि वहां की एक डिस्ट्रिक्ट अदालत में एक भारतीय नागरिक के ऊपर मुकदमा भी दर्ज हुआ और कहा गया है कि साजिश रचने में शामिल रहा भारतीय नागरिक भारत की एक एजेंसी का कर्मचारी है, जो अपने को ‘सीनियर फील्ड ऑफिसर’ कहता है और ‘सिक्योरिटी मैनेजमेंट और इंटेलीजेंस’ के लिए अपने को जिम्मेदार बताता है। अमेरिकी अदालत में जिस भारतीय नागरिक पर मुकदमा दर्ज हुआ है उसका नाम निखिल गुप्ता उर्फ निक है, जिसे 30 जून को चेक गणराज्य से गिरफ्तार किया गया। जिस साजिश में उसे गिरफ्तार किया गया है वह बेहद बचकानी और हास्यास्पद है। बताया जा रहा है कि उसने पन्नू की हत्या के लिए अमेरिका में जिस व्यक्ति को संपर्क किया वह अमेरिका की सरकारी एजेंसी का ही आदमी था। उसने सारी एजेंसियों को अलर्ट कर दिया। इस तरह की खबरों से भारतीय एजेंसियों की भी किरकिरी होती है। बहरहाल, खबर है कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स भारत आने वाले हैं। अमेरिका इस बात से नाराज है कि भारत ने उसकी जमीन पर एक अमेरिकी नागरिक की हत्या कराने की साजिश रची। भारत को जल्दी से जल्दी इस मामले को स्पष्ट करते हुए यह अध्याय बंद करना चाहिए।