साफ है कि अमेरिका पन्नूं मामले की तह तक जाने को लेकर अडिग है। भारत भी इस मामले में अमेरिका को संभवतः वैसी चुनौती नहीं देना चाहता, जैसा उसने कनाडा के मामले किया था। ऐसे में अब सब कुछ भारतीय जांच की रिपोर्ट पर निर्भर है।
खालिस्तानी कार्यकर्ता गुरपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की कथित कोशिश के मामले में अमेरिका भारत के प्रति कोई रियायत बरतने के मूड में नहीं दिखता। लगभग रोजमर्रा के स्तर पर वहां के सरकारी अधिकारी या प्रवक्ता ऐसे बयान दे रहे हैं, जिनका सार यह होता है कि अमेरिका इस मामले में दबाव बनाए हुए है। ताजा बयान अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर का है, जिन्होंने कहा है कि अमेरिका ने यह मसला सरकार के सबसे वरिष्ठ स्तरों पर उठाया है। मिलर ने यह भी साफ कर दिया कि अमेरिका ने पन्नूं के मामले को कनाडा में हुई खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले से जोड़ दिया है। मैथ्यू ने यह अमेरिकी रुख दोहराया कि उनके देश ने भारत से कनाडा की जांच में सहयोग करने का ‘अनुरोध’ किया है।
इस मामले में भारत में कराई जा रही जांच का स्वागत करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्हें इसके नतीजे का इंतजार रहेगा। मिलर ने भी इसका जिक्र किया और कहा- ‘भारत ने इस मामले की जांच का सार्वजनिक एलान किया है। हम इसके नतीजों का इंतजार करेंगे, लेकिन यह एक ऐसा मामला है, जिसे हम बहुत गंभीरता से लेते हैँ।’ इसी बीच ये खबर आई है कि अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर ए व्रे इस जांच की समीक्षा करने के लिए 11-12 दिसंबर को भारत की यात्रा करेंगे। इस दौरान मुलाकात एनआईए के प्रमुख दिनकर गुप्ता से होगी। इसके पहले इसी हफ्ते अमेरिका के प्रमुख उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर भारत आए। हालांकि उनकी यात्रा का घोषित मकसद महत्त्वपूर्ण एवं उभरती तकनीक के मामले में भारत-अमेरिका पहल की समीक्षा करना था, लेकिन अमेरिका ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि इस दौरान पन्नूं मामले को भी फाइनर ने उठाया। तो साफ है कि अमेरिका इस मामले की तह तक जाने को लेकर अडिग है। भारत सरकार भी इस मामले में अमेरिका को संभवतः वैसी चुनौती नहीं देना चाहती, जैसा उसने कनाडा के मामले किया था। ऐसे में अब सब कुछ जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष पर निर्भर हो गया है।