Thursday

01-05-2025 Vol 19

निशाना प्यादों पर क्यों?

538 Views

इंडिया ने नफरती एंकर कहा है, वे अगर वर्षों से ऐसा कार्य कथित रूप से करते रहे हैं, तो क्या इसके लिए सिर्फ वे व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं? या ऐसा करने का मंच उन्हें मीडिया घराने ने उपलब्ध कराया है?

लोकतंत्र में आदर्श स्थिति तो यही होगी कि मीडिया को स्वतंत्र ढंग से काम करने का मौका मिले। पत्रकारों को खबरों की अंदर तक पड़ताल करने और सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठे लोगों से हमेशा निर्भय होकर सवाल करने के अवसर मिलें, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के सफल संचालन की अनिवार्य शर्त है। इसीलिए पत्रकारों और मीडिया घरानों को लोकतांत्रिक देशों में विशेष महत्त्व दिया जाता है- और उन्हें कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलती हैं। लेकिन जब खुद मीडिया घराने और पत्रकार अपनी अपेक्षित भूमिका के विपरीत कार्य करने लगें, वे किसी पार्टी विशेष की तरफ से काम करते दिखने लगें और सरकारी एवं सत्ता पक्ष के नैरेटिव का भोंपू बन जाएं, सिर्फ विपक्ष से लोकतांत्रिक कसौटियों के पालन की अपेक्षा उचित नहीं होगी। टीवी चैनलों के 14 एंकरों के शो का बहिष्कार करने के विपक्षी गठबंधन इंडिया के फैसले को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हालांकि यह स्थिति अफसोसनाक है, लेकिन बात के इस हद तक पहुंचने के लिए इंडिया गठबंधन को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

दरअसल, विपक्ष के इस कदम ने भारत में चल रही पक्षपाती पत्रकारिता की बढ़ती चली गई समस्या को रेखांकित किया है। क्या इस सच को नजरअंदाज किया जा सकता है कि गुजरे नौ वर्षों में मुख्यधारा के लगभग लगभग सभी हिंदी और अंग्रेजी टीवी न्यूज चैनल एकतरफा ढंग से काम करते रहे हैं। इसके बावजूद विपक्ष के इस कदम पर कुछ ठोस सवाल हैं। मुद्दा यह है कि जिन्हें इंडिया ने नफरती एंकर कहा है, वे अगर वर्षों से ऐसा कार्य कथित रूप से करते रहे हैं, तो क्या इसके लिए सिर्फ वे व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं? या ऐसा करने का मंच उन्हें मीडिया घराने ने उपलब्ध कराया है? यह मंच उपलब्ध कराने के पीछे मीडिया मालिकों की क्या भूमिका या स्वार्थ रहे हैं, क्या बिना उन पर ध्यान दिए जो मीडिया माहौल बना है, उसका कोई समाधान ढूंढा जा सकता है? अगर इस समस्या को उसके पूरे संदर्भ में देखें, तो यह महसूस होगा कि विपक्ष ने सॉफ्ट टारगेट्स पर ही निशाना साधा है। वे इस मसले के असल जिम्मेदारों की पहचान करने तक से ठिठक गए हैं।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *