आकलन है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत के सात बिलियन डॉलर से अधिक का निर्यात प्रभावित होगा। इसका असर देश के उद्योग-धंधों पर पड़ेगा। उसकी क्षतिपूर्ति कैसे होगी, इस बारे में देश में कम ही चर्चा हुई है।
डॉनल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को अमेरिका का ‘मुक्ति दिवस’ कहा है। उनकी योजना के मुताबिक आज से ‘जैसे को तैसा’ शुल्क प्रणाली लागू हो जाएगी। इसकी शुरुआत के 24 घंटे पहले तक इसकी भनक किसी को नहीं थी कि वास्तव में इसका क्या रूप होगा। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक ट्रंप प्रशासन के भीतर अंतिम क्षणों तक इस पर बहस-मुबाहिशा ही चल रही थी।
नाम तो यह संकेत देता है कि जो देश अमेरिकी उत्पादों पर जितना टैरिफ लगाता है, उससे वहां होने वाले आयात पर भी उतना ही आयात शुल्क लगेगा। मगर एक चर्चा यह भी रही है कि सभी देशों पर समान रूप से 20 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाए।
ट्रंप के टैरिफ वॉर से वैश्विक व्यापार में हलचल
बहरहाल, यह लगभग साफ है कि इस अमेरिकी व्यापार युद्ध से कोई ऐसा देश नहीं बच पाएगा, जो अमेरिका से कारोबार में लाभ की स्थिति में है। इस बीच विभिन्न देशों ने नई परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए अपनी तैयारी की है।
एक खास घटनाक्रम चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में बनी सहमति है कि वे तीनों मिल कर इस चुनौती का जवाब देंगे। यानी ट्रंप के टैरिफ हमले ने उसके खेमे के दो देशों को प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ मोर्चा बनाने की तरफ धकेल दिया है। यूरोपियन यूनियन ने अपनी तैयारियां की हैं। मेक्सिको से खबर है कि वहां की सरकार जवाबी कदमों की घोषणा तीन अप्रैल को करेगी।
बड़े देशों में संभवतः भारत अकेला है, जिसने सारा दांव ट्रंप प्रशासन को तुष्ट करने की कोशिशों पर लगाए रखा। वे कोशिशें फिलहाल कारगर होती नहीं दिखी हैं। उलटे इससे ट्रंप प्रशासन को टैरिफ के अलावा व्यापार से संबंधित दूसरे अहम पहलुओं पर भी दबाव बनाने का मौका मिला है।
विशेषज्ञों का आकलन है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत के सात बिलियन डॉलर से अधिक का निर्यात प्रभावित होगा। इसका असर देश के उद्योग-धंधों पर पड़ेगा। उसकी क्षतिपूर्ति कैसे होगी, इस बारे में देश में कम ही चर्चा हुई है। जबकि अपेक्षित यह था कि सरकार और कारोबार जगत मिल कर एहतियाती योजना भी तैयार रखते। यह तो साफ है कि ट्रंप का टैरिफ वॉर वैश्विक कारोबार में भारी उथल-पुथल पैदा करेगा।
Also Read: ऐसा लगा जैसे पंजाब अपना क्यूरेटर लेकर आई थी: जहीर खान
Pic Credit : ANI