nayaindia OTT platforms ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों की भी टीवी चैनलों जैसी समस्या

ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों की भी टीवी चैनलों जैसी समस्या

अपने यहां जब भी कोई नई चीज़ आती है और चल जाती है तो फिर बहुत से दूसरे लोग भी उसी धंधे में कूद पड़ते हैं। टीवी चैनलों की शुरुआती सफलता के कारण देश में एक समय डेढ़ हजार से ऊपर चैनल आ गए थे जो अब घट कर नौ सौ से भी कम रह गए हैं। सैकड़ों तो न्यूज़ के चैनल थे। उनमें बहुत से इस दौड़ में ज्यादा नहीं चल सके और बंद हो गए। अब जबकि ओटीटी का ज़माना है तो इसके भी बहुत सारे प्लेटफॉर्म आ गए और आते जा रहे हैं। इतने कि सबके नाम याद रखना भी मुश्किल है। मगर अब उनमें से कुछ के बिकने या किसी अन्य प्लेटफॉर्म में उनका विलय होने या फिर बंद होने की आशंकाएं उठने लगी हैं। जाहिर है इनमें अपेक्षाकृत छोटे, यानी कम खर्च में चलाए जा रहे और बेकार सामग्री की भरमार वाले प्लेटफॉर्म हैं। बिलकुल वही स्थिति जो छोटे टीवी चैनलों की रही है।

वैसे ओटीटी से एक बदलाव तो आया है। उन्होंने लोगों को कहानी की विविधता दी है। कहानियों के विषय और परिवेश भी अलहदा दिए हैं। ऐसा फिल्मों में बहुत कम और कभी-कभार होता था। और जो नयापन ओटीटी ने दिया उसका प्रभाव फिल्मों पर भी दिखने लगा। कुछ निर्माता ऐसी कहानियां तलाशने लगे कि थिएटरों के बाद फिल्म ओटीटी पर चल सके। कई फिल्में थिएटर से ज्यादा ओटीटी पर चली हैं। बहुत से छोटे और नए निर्माताओं के लिए कम बजट में सीधे ओटीटी के लिए फिल्में या वेब सीरीज़ बनाने का रास्ता भी खुला। मगर जैसा कि हमेशा होता है, ऐसे भी ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं जो घटिया अथवा अश्लील सामग्री से काम चलाना चाहते हैं। उनकी राह कठिन होती जा रही है। सामग्री घटिया होती है तो दर्शक भी भाग जाते हैं और एडवर्टाइजर भी। फिर समझिए कि आपका स्टार्टअप या तो बंद हुआ या फिर मर्जर की लाइन में लग गया।

By सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें