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‘अध्यक्ष’ से बड़ी लाइन बना रहे ‘नेता प्रतिपक्ष’

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राहुल गांधी का बयान जिसमें वो भारत जोड़ो यात्रा के प्रदेश से गुजरने के बाद दावा करते हैं कि इस बार मध्यप्रदेश में सरकार कांग्रेस की ही बनेगी.. इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का दावा नया साल नई सरकार ..और अब नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की भी धमाकेदार एंट्री वह भी कथित सीडी कांड में नया उबाल लाते हुए.. ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के अंदर अपनी स्वीकार्यता बनाने के लिए चुनावी मुद्दों को धार दे रहे.. या फिर इसे कांग्रेस की रणनीति माना जाए और परदे के पीछे बड़े खिलाड़ी मुद्दे को हवा और विवाद को शह दे रहे.. चर्चा व्यापम कांड में एक और एफ. आई. आर की भी.. लेकिन बयान सीडी से जुड़े तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के जिम्मेदार नेता की मुलाकात इस सियासत को गरमा रही है..

भाजपा के दो जिम्मेदार नेता प्रदेश अध्यक्ष और गृहमंत्री के बयानों के बीच नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह केंद्र बिंदु बने हुए.. जो कहते हैं ब्लैकमेल नहीं करना है लेकिन घर आओ तो सीडी दिखा देंगे.. फिलहाल मकसद पर सस्पेंस लेकिन अंदर खाने बहुत कुछ पकने से इनकार नहीं किया जा सकता ..यह सब कुछ उस वक्त जब मुख्यमंत्री शिवराज गरीब, बेघर, असहाय लोगों के लिए अपनी सरकार की योजना का लाभ सुनिश्चित करने में जुटे हैं ..और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर दौरे पर प्रवासी भारतीय सम्मेलन में शामिल होने आ रहे हैं .. जिसके बाद इन्वेस्टर सम्मिट का पूर्व निर्धारित आयोजन.. भाजपा में भी अंदर खाने मेल मुलाकात सस्पेंस को और गहरा रहीं है.. संघ की गोवा में समन्वय बैठक शुरू होने वाली तो दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी जनवरी के दूसरे पखवाड़े के प्रारंभ में होगी.. इसके बाद एक सप्ताह के अंदर मध्य प्रदेश भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाएगी.. यानी सब कुछ लाइन पर आगे बढ़ता गया और कड़ियों को जोड़ा जाए तो भाजपा की पटकथा गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के बाद सामने आ सकती है.. जिसमें चुनावी रणनीति जीत के फार्मूला का संदेश छुपा होगा..

ऐसे में सवाल नेता प्रतिपक्ष के निशाने पर भाजपा और संघ का आना क्या किसी बड़ी दूरगामी रणनीति का हिस्सा या फिर सिर्फ और सिर्फ शिगूफेबाजी से ज्यादा कुछ नहीं..नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह के निशाने पर भले ही भाजपा और संघ लेकिन कहीं ना कहीं वह अपने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से बड़ी लाइन जरूर बनाते हुए देखे जा सकते हैं.. चाहे फिर इसे शीतकालीन सत्र में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से जोड़कर देखा जाए.. जिसमें कांग्रेस को फायदा से ज्यादा उसकी किरकिरी हो गई ..या फिर नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष रहते कथित सीडी स्कैंडल पर पार्टी नेतृत्व की लाइन और सोच से जोड़ा जाए.. या फिर नेता प्रतिपक्ष अपने पार्टी नेतृत्व को भरोसे में लेकर उनकी अधूरी लाइन को अंजाम तक पहुंचाने की वो मंशा रखते हैं ..या फिर इस स्क्रिप्ट को पार्टी के और किसी कद्दावर नेता की सलाह और निर्देश से आगे चुनावी माहौल गरमाने के लिए एक कड़ी के तौर पर बनाकर पेश किया जा रहा.. अविश्वास प्रस्ताव के बाद एक बार सुर्खियों में गोविंद सिंह बन चुके जिनकी नेता प्रतिपक्ष की संसदीय और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात हो.. या फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की चुनौती के साथ निशाने पर आ जाना..

अविश्वास प्रस्ताव का हश्र जानने के बावजूद भी गोविंद सिंह ने यदि सदन में शिवराज सरकार को चुनौती दी तो क्या अब सड़क की लड़ाई में आरोप-प्रत्यारोप को नई धार देने के लिए गोविंद सिंह कदम आगे बढ़ाते रहेंगे.. आखिर इसकी गारंटी क्या.. क्योंकि पारिवारिक परिस्थितियों का हवाला दे कर शिवराज के उद्बोधन के दौरान सदन में दूसरे दिन अविश्वास प्रस्ताव की बहस के समय गोविंद नजर नहीं आए थे.. ऐसे में जब नेता प्रतिपक्ष की गृहमंत्री से एकांत में मुलाकात होती है तो क्या उसे नजरअंदाज किया जा सकता है…..

वह भी तब जब गोविंद के बयान बवाल खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.. पिछले 48 घंटे में गोविंद और विष्णु दत्त के बयान ने बहस केवल आगे जाने के साथ सियासत गरमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.. सवाल जरूर कुछ खड़े किए जा रहे हैं गोविंद सिंह के पास जो सीडी है..

आखिर उनमें कौन है जिसके बेनकाब होने से व्यक्ति विशेष से आगे पार्टी नेतृत्व सरकार और बहुत कुछ विवादों में आ सकते हैं.. सवाल यह भी कि सरकार भाजपा की तो यह सीडी आखिर आखिर नेता प्रतिपक्ष तक कैसे पहुंची या पहुंचाई गई.. क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी बिना नाम लिए कांग्रेस के निशाने पर सरकार का एक मंत्री आ गया था. जो पूर्व में कॉन्ग्रेस से जुड़े रहे. इस विवादित प्रकरण के तार कांग्रेस के एक अन्य नेता पुत्र से भी जोड़कर देखे जा रहे थे.. उस वक्त बात आई गई हो गई थी.. तो इससे पहले

हनी ट्रैप कौन भी खूब चर्चा में रहा.. जिसके ठंडा पड़ने से उस वक्त कुछ राजनेताओं और अधिकारियों को राहत महसूस हुई थी.. क्या उनकी नींद नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने फिर यह कहकर उड़ा दी कि सीडी उनके पास है.. जिसके तार सेक्स स्कैंडल से जोड़ कर देखे जा रहे.. चुनावी साल में नेता प्रतिपक्ष के निशाने पर भाजपा ही नहीं संघ जिन्हें उन्होंने इस विवाद में बिना नाम लिए जोड़ा.. कथित स्कैंडल को लेकर चुनौती, राजदार, पर्दाफाश औकात, समझाइश से बने इस माहौल में नेता प्रतिपक्ष से संसदीय मंत्री की मुलाकात.. तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बेबाक बोल और बयान से ज्यादा चुनौती ने मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.. नया और चुनावी साल नई चुनौतियों से जूझ रहे उन सियासतदानों के लिए इसे अच्छी खबर नहीं माना जा सकता.. जो संदेह के घेरे में है या उन्हें लाया जा रहा.. फिलहाल हमला कांग्रेस

के जिम्मेदार नेता द्वारा और आरोपों के कठघरे में सत्ताधारी भाजपा तो समझा जा सकता है कि मामला गंभीर.. लेकिन बड़ा सवाल ये चेहरे कौन है सिर्फ भाजपा के हैं या फिर आयातित वो नेता जो भाजपा में शामिल हुए उनसे भी तार जुड़ते हैं.. सवाल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप इस लड़ाई में आखिर संघ को क्यों लपेटा गया.. बड़ा सवाल प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जो 15 महीने मुख्यमंत्री भी रहे और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी निभाई के विवादित पेनड्राइव वाले बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की अश्लील सीडी सियासत में चुनाव को आखिर कौन सी दिशा देगी..
वह भी तब जब गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा इस मामले में नेता प्रतिपक्ष को भजन और गजल से जोड़कर सलाह देते हैं.. और सत्ताधारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की चुनौती को सशर्त नेता प्रतिपक्ष स्वीकार कर चुके हैं.. इस बीच नेता प्रतिपक्ष का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को घर आने का आमंत्रण और नेता प्रतिपक्ष का गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के आवास पर जाकर मुलाकात करना क्या कुछ नए सवाल खड़े करेगा या फिर सस्पेंस और बढ़ता जाएगा.. लाख टके का सवाल पेन ड्राइव से लेकर सीडी आखिर किस किस के पास है.. सियासी नफा नुकसान की इस बहस से आगे आखिर इस मुद्दे पर जांच एजेंसी का रुख क्या होगा.. इसमें सब कुछ ठीक-ठाक नहीं तो क्या यह मध्य प्रदेश की तस्वीर को दूसरे राज्यों के सामने धूमिल कर सकता है..

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