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02-05-2025 Vol 19

बाबा केदारनाथ विराजे अपने धाम, 108 क्विंटल फूलों से महका आस्था का धाम

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जिस घड़ी का शिवभक्त 6 महीनों से इंतजार कर रहे थे वह क्षण आ ही गया और पुरे विधि-विधान के साथ अराध्य श्री बाबा केदारनाथ के कपाट खोल दिए गए। अब शिवभक्त 6 महीने तक बाबा केदारनाथ के दर्शन कर सकेंगे। आज 2 मई 2025, शुक्रवार की पावन सुबह, वृष लग्न में केदारनाथ धाम के कपाट विधिपूर्वक श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की ऊँचाईयों पर बर्फ से ढके हिमालय की गोद में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर, एक बार फिर से भक्तों की भक्ति और आस्था का साक्षी बना। बाबा केदारनाथ के जयघोष और मंत्रोच्चारों के बीच जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, समस्त केदारघाटी “हर-हर महादेव” के नारों से गूंज उठी।

मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही, हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में एकत्र हो चुके थे। इस अलौकिक क्षण के साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी भी इस शुभ अवसर पर स्वयं केदारनाथ धाम में उपस्थित रहे और बाबा केदार के प्रथम दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। खास बात यह रही कि इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा संपन्न हुई, जो भक्तों के लिए एक विशेष भावनात्मक क्षण बन गया।

केदारनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चारधाम यात्रा का प्रमुख धाम है। हर वर्ष सर्दियों में अत्यधिक बर्फबारी के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और अक्षय तृतीया के बाद शुभ मुहूर्त में इन्हें खोला जाता है।

कपाट खुलने की पूरी प्रक्रिया अत्यंत पारंपरिक और धार्मिक विधियों से संपन्न होती है। बाबा केदार की चल विग्रह डोली, उनके शीतकालीन प्रवास स्थल – उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से, भव्य शोभायात्रा के रूप में केदारनाथ लाई जाती है।

इस वर्ष मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था। करीब 108 क्विंटल फूलों से मंदिर और आस-पास का क्षेत्र सुसज्जित किया गया, जिससे पूरे वातावरण में भक्ति, सुंदरता और दिव्यता की अनोखी छटा बिखर गई। समुद्र तल से 11,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह धाम, न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति की गोद में इसकी स्थिति इसे और भी अद्वितीय बनाती है।

दर्शन के लिए टोकन सिस्टम लागू

कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर में जलती अखंड ज्योति के दर्शन किए। इसके पश्चात रुद्राभिषेक, शिवाष्टक, शिव तांडव स्तोत्र और केदाराष्टक जैसे पावन मंत्रों के साथ बाबा का पूजन-अर्चन प्रारंभ हुआ।

सबसे पहले कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के मुख्य रावल भीमशंकर लिंग पूजा के लिए पहुंचे और छह महीने पूर्व बाबा पर चढ़ाया गया भीष्म श्रृंगार विधिपूर्वक हटाया गया।

फिलहाल लगभग 2500 श्रद्धालु धाम में मौजूद हैं और दर्शन के लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है ताकि भीड़ नियंत्रित तरीके से दर्शन कर सके। अगले छह महीनों तक अब भक्त बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे। अनुमान है कि जून से अगस्त के बीच यदि मौसम अनुकूल रहा तो इस बार केदारनाथ धाम में 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।

चारधाम यात्रा 30 अप्रैल, अक्षय तृतीया से प्रारंभ हो चुकी है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पहले ही खुल चुके हैं और बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे। इस प्रकार, उत्तराखंड की दिव्यता, परंपरा और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत यह यात्रा एक बार फिर लाखों श्रद्धालुओं को परम शांति और पुण्य की अनुभूति कराने के लिए तैयार है।

150 से अधिक स्वयंसेवकों ने दिन-रात किया काम

केदारनाथ धाम में इस वर्ष कपाटोद्घाटन समारोह को भव्यता की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया गया है। इस विशेष अवसर पर 150 से अधिक समर्पित स्वयंसेवकों ने दिन-रात मेहनत कर मंदिर परिसर को अनुपम सौंदर्य प्रदान किया है।

मंदिर की सजावट में शामिल इस कर्मठ टीम का नेतृत्व गुजरात के वडोदरा निवासी सृजल व्यास कर रहे हैं, जिन्होंने बताया कि इस अलौकिक श्रृंगार के लिए गुलाब और गेंदे समेत कुल 54 प्रकार के सुगंधित फूलों का उपयोग किया गया है।

इन फूलों को केवल भारत के विभिन्न हिस्सों—दिल्ली, कश्मीर, पुणे, कोलकाता और पटना—से ही नहीं, बल्कि नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे विदेशी स्थलों से भी मंगवाया गया है।

विशेष रूप से गेंदे के फूलों को कोलकाता के एक विशेष गांव से लाया गया, जहाँ की किस्में अपनी दीर्घकालिक ताजगी के लिए प्रसिद्ध हैं—जो स्थानीय फूलों की तुलना में 10 से 15 दिनों तक मुरझाए बिना जीवंत बनी रहती हैं।

केदारनाथ मंदिर की सजावट और सौंदर्यीकरण कार्य में पश्चिम बंगाल से आए 35 कुशल कलाकारों ने भी विशेष योगदान दिया है। इन कलाकारों ने मंदिर की आभा को और भी पवित्र और भव्य बना दिया है।

साथ ही, भगवान शिव की सजीव उपस्थिति का प्रतीक, उनकी दिव्य मूर्ति को सजी-धजी पालकी में बैठाकर गौरीकुंड से यात्रा कर केदारनाथ धाम में प्रतिष्ठापित किया गया है। यह पालकी यात्रा न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि परंपरा और भक्ति का अद्भुत संगम भी है।

108 क्विंटल फूलों से सजा केदारनाथ धाम

कपाटोद्घाटन के पावन पर्व के लिए केदारनाथ मंदिर को 108 क्विंटल फूलों और पुष्पमालाओं से सजाया गया है, जिसने संपूर्ण धाम को एक दिव्य पुष्पवाटिका का स्वरूप प्रदान किया है।

आयोजन के सफल संचालन हेतु शासन, प्रशासन और सुरक्षा बलों की विशेष तैनाती की गई है। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए केदारनाथ में 15,000 से अधिक रात्रि प्रवास की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि कपाट खुलने के साथ ही दर्शन हेतु टोकन व्यवस्था लागू की जाएगी, ताकि श्रद्धालु शांतिपूर्वक और व्यवस्थित ढंग से भगवान के दर्शन का लाभ ले सकें।

यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि यह देशभर से जुटे लोगों की एकता, समर्पण और सेवा भावना का भी अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।

क्या है बाबा का भीष्म शृंगार, जिसे करने में लगते हैं पूरे 5 घंटे?

बाबा केदारनाथ का भीष्म शृंगार एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जो कपाट बंद करने से पहले किया जाता है। यह प्रक्रिया इतनी भव्य और विस्तृत होती है कि इसे पूरा करने में लगभग 5 घंटे लगते हैं।

इस शृंगार की शुरुआत होती है शिवलिंग पर 6 लीटर पिघले हुए शुद्ध घी के लेपन से, जो कपाट बंद करने से पहले किया जाता है। यह घी ठंड में जम जाता है, और कपाट खोलते समय उसे धीरे-धीरे हटाया जाता है।

फिर आता है आर्घा निकालने का क्रम, जिसमें शिवलिंग के पास रखे गए मौसमी फल और ड्राई फ्रूट्स का ढेर हटाया जाता है। इसके बाद बाबा पर चढ़ाई गई 1 से 12 मुखी रुद्राक्ष की मालाएं उतारी जाती हैं, और फिर शिवलिंग को लपेटे हुए सफेद कॉटन का कपड़ा हटाया जाता है।

इसके पश्चात बाबा का होता है गंगा स्नान, जिसमें गोमूत्र, दूध, शहद और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। अंत में बाबा को ताजे फूलों, भस्म और चंदन के तिलक से सजाया जाता है।

जहां एक ओर यह शृंगार करने में घंटों लगते हैं, वहीं कपाट खुलने पर इसे हटाने में सिर्फ आधा घंटा ही लगता है। यह प्रक्रिया न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि बाबा के प्रति समर्पण और सेवा भावना का जीवंत उदाहरण भी है।

सुबह सात बजे खुले मंदिर के कपाट

केदारनाथ मंदिर के कपाट शुक्रवार सुबह ठीक सात बजे श्रद्धालुओं के लिए विधिवत रूप से खोल दिए गए। मंदिर के मुख्य पुजारी भीमाशंकर लिंग ने बताया कि कपाट खुलने की तैयारियां सुबह छह बजे से प्रारंभ कर दी गई थीं। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की गई।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल ने जानकारी दी कि इस बार श्रद्धालुओं को केदारनाथ में एक नई पहल देखने को मिलेगी।

काशी, हरिद्वार और ऋषिकेश में होने वाली गंगा आरती की तर्ज पर अब केदारनाथ में मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के संगम पर भव्य आरती का आयोजन प्रारंभ किया जा रहा है। इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम स्थल पर तीन ओर से रैंप बनाए गए हैं, जिससे वे आसानी से दर्शन कर सकें। इसके अतिरिक्त, मंदिर प्रांगण में स्थित नंदी की मूर्ति तथा आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को भी इस बार विशेष रूप से फूलों से सजाया गया है, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।

चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं को न हो कोई परेशानी – CM धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार का पूरा प्रयास है कि चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।

उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर चार धाम यात्रा विधिवत रूप से शुरू हो चुकी है। आज केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए, जहां कपाट खुलते ही हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दो दिन बाद भगवान बद्रीनाथ के भी कपाट खुलने के साथ ही यात्रा अपने पूर्ण स्वरूप में शुरू हो जाएगी। सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की हैं, ताकि उन्हें यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

सीएम धामी ने बताया कि श्री केदारनाथ धाम को पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ सजाया गया है। शुक्रवार सुबह विधि-विधान और शुभ मुहूर्त में कपाट उद्घाटन हुआ, जिसके साथ ही भक्तजन केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सके।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनके लिए यह अत्यंत सौभाग्य का क्षण है कि वे स्वयं कपाटोद्घाटन के इस पावन अवसर पर श्री केदारनाथ धाम में उपस्थित रहे।

केदारपुरी में पहले दिन कम भीड़, गौरीकुंड में खाली कमरे

चारधाम यात्रा का आरंभ इस वर्ष कुछ अलग अंदाज़ में हुआ है। जहां हर साल पहले ही दिन भारी भीड़ देखने को मिलती थी, वहीं इस बार केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू होने वाले पहले दिन श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम देखी गई है।

केदारनाथ यात्रा के प्रवेश द्वार माने जाने वाले गौरीकुंड में इस बार 1500 कमरों में से करीब 1100 ही भरे गए हैं, शेष कमरे अभी खाली हैं। होटल और लॉज व्यवसायियों का कहना है कि इस बार की शुरुआत में पिछले साल जैसी भीड़ नहीं देखने को मिल रही है।

फिर भी श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं है। अब तक कुल 23 लाख तीर्थयात्री चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, जिनमें से सबसे अधिक 7.30 लाख श्रद्धालु केदारनाथ के दर्शन के लिए पंजीकृत हुए हैं। गौरतलब है कि पिछले साल कुल 19.50 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए थे।

हेलिकॉप्टर सेवा से केदारनाथ यात्रा आसान

इस बार श्रद्धालुओं के लिए एक और बड़ी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है — हेलिकॉप्टर सेवा। सोनप्रयाग से शुरू होने वाली इस सेवा के जरिए तीर्थयात्री केदारनाथ धाम तक जल्दी और सुगमता से पहुंच सकेंगे।

हेलिकॉप्टर ऑपरेटर पवन राणा के अनुसार, IRCTC की वेबसाइट से ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है, वहीं ऑफलाइन टिकट डीएम ऑफिस या सेक्टर मजिस्ट्रेट के पास से मिल सकेंगे।

उन्होंने जानकारी दी कि हर दिन 20-30 उड़ानें संचालित की जाएंगी, जिनके माध्यम से प्रतिदिन 150 से अधिक यात्रियों को केदारनाथ पहुंचाया जाएगा। हालांकि यह सेवा मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगी। यदि मौसम खराब होता है तो उड़ानें रद्द कर दी जाएंगी और टिकट कैंसिल कर दिए जाएंगे — यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने को तैयार

चारधामों में से एक बद्रीनाथ धाम (जिला चमोली) के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे। इससे पहले 1 मई को उत्तराखंड के DGP दीपम सेठ और ADG वी. मुरुगेश ने सुरक्षा, ट्रैफिक मैनेजमेंट और भीड़ नियंत्रण जैसी व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया।

प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि तीर्थयात्रा सुचारु, सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हो। हालांकि इस बार यात्रा की शुरुआत में अपेक्षाकृत कम भीड़ देखी जा रही है, लेकिन पंजीकरण के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ेगी।

प्रशासन, सुरक्षा बल और स्थानीय व्यवसायी सभी तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटे हुए हैं। हेलिकॉप्टर सेवा, ट्रैफिक व्यवस्था और डिजिटल बुकिंग सुविधाएं इस यात्रा को पहले से अधिक सुगम और सुरक्षित बना रही हैं।

तुंगनाथ मंदिर के कपाट आज होंगे उद्घाटित

आज शुक्रवार को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट विधिवत रूप से श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु प्रातः 10:15 बजे शुभ मुहूर्त में खोले जाएंगे। तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से प्रस्थान कर रात्रि विश्राम के लिए चोपता पहुँच चुकी है।

गुरुवार को भूतनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के बाद, डोली ने मंदिर की तीन पारंपरिक परिक्रमाएं कीं और भक्तों के जयकारों के बीच तुंगनाथ धाम के लिए रवाना हुई। चोपता में रात्रि विश्राम के दौरान पूरा क्षेत्र “जय बाबा तुंगनाथ” के उद्घोष से गूंज उठा।

मंदिर प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी के अनुसार, शुक्रवार प्रातः 7 बजे डोली चोपता से प्रस्थान करेगी और लगभग चार किलोमीटर की पैदल यात्रा के उपरांत सुबह 10 बजे तुंगनाथ मंदिर पहुंचेगी। मंदिर को फूलों और मालाओं से विशेष रूप से सजाया गया है, जिससे कपाटोद्घाटन समारोह और भी भव्य और भक्तिमय हो सके।

PIC CREDIT -GROK 

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