इम्फाल। पिछले करीब 10 महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में एक बार फिर हिंसा का नया दौर शुरू हो गया है। पिछले एक हफ्ते से हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हो गई है। ताज हिंसा में पुलिस बलों की फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई है। उससे पहले एक उग्र भीड़ ने हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित चुराचांदपुर जिले में गुरुवार को यानी 15 फरवरी की देर रात को एसपी और कलेक्टर ऑफिस पर हमला कर दिया था। तीन से चार सौ लोगों की भीड़ ने दफ्तर पर पथराव किया और साथ ही एक बस सहित कई गाड़ियों में आग लगा दी।
मणिपुर पुलिस ने बताया है कि हमले के जवाब में रैपिड एक्शन फोर्स, आरएएफसहित दूसरे सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले दागे। पुलिस के मुताबिक- सुरक्षाबलों ने फायरिंग भी की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और40 से ज्यादा लोग घायल हैं।पुलिस ने बताया कि एक हेड कॉन्स्टेबल को निलंबित करने के विरोध में हिंसा हुई है। हिंसा के बाद चुराचांदपुर में पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। कुकी संगठन आईटीएलएफ ने पूरे जिले में बंद की घोषणा की है।
गौरतलब है कि चुराचांदपुर कुकी-जो जनजाती बहुल क्षेत्र है। यह राजधानी इम्फाल से 65 किलोमीटर दूर है। मणिपुर में मई 2023 में शुरू हुई हिंसा में चुराचांदपुर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था। बहरहाल, बताया जा रहा है कि 14 फरवरी को हेड कॉन्स्टेबल सियामलालपॉल का एक वीडियो सामने आया था। इसमें वो हथियारबंद बदमाशों के साथ दिखाई दिए थे। हेड कांस्टेबल ने बदमाशों के साथ बंकर में सेल्फी भी ली थी, जो वायरल हो गई।इसके बाद एसपी ने उन्हें निलंबित कर दिया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि हेड कांस्टेबल को गलत तरीके से निलंबित किया गया है। उन्होंने सियामलालपॉल को वापस बहाल करने की मांग की।कुकी-जो सिविल सोसायटी ग्रुप, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम यानी आईटीएलएफ ने हिंसा के बाद एक बयान में कहा कि गुरुवार रात की घटना के लिए चुराचांदपुर एसपी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।कुकी-जो जनजातियों का आरोप है कि राज्य पुलिस की मिलीभगत से बार-बार उनके गांवों पर हमले हो रहे हैं। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है।