नई दिल्ली। वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा दायर किया है। केंद्र ने कहा है कि संसद ने कानून बनाने के अपने अधिकार के तहत कानून बनाया है और इस आधार पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से सारी याचिकाएं खारिज करने की मांग की है। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि वक्फ बोर्ड मुसलमानों की कोई धार्मिक संस्था नहीं है, बल्कि वैधानिक निकाय है। सरकार पहले भी कहती रही है कि यह संपत्तियों का प्रबंधन करने वाली संस्था है।
केंद्र का वक्फ कानून पर पक्ष
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है, ‘अदालतें वैधानिक प्रावधान पर रोक नहीं लगा सकती, संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर सकती हैं और फैसला दे सकती हैं। संसद में बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है। विधायिका द्वारा लागू की गई विधायी व्यवस्था को बदलना स्वीकार नहीं है’। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को सुनवाई के बाद सात दिन के अंदर केंद्र से वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद पांच दिन में याचिकाकर्ता अपने जवाब दाखिल करेंगे। इस मामले में अगली सुनवाई पांच मई को होगी।
केंद्र ने कहा है कि अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि संशोधन से धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लिया जाएगा। आप इस बिंदु पर विचार कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट किसी कानून की विधायी क्षमता और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर समीक्षा कर सकता है। इस संशोधन कानून से किसी भी व्यक्ति के वक्फ बनाने के धार्मिक अधिकार में कोई हस्तक्षेप नहीं होता। केवल प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इस कानून में बदलाव किया गया है।
सरकार ने कहा है कि संसद से पारित कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है, खासतौर से संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी की सिफारिशों और संसद में व्यापक बहस के बाद बने हुए कानून को। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र में काम करते हुए यह सुनिश्चित किया कि वक्फ जैसे धार्मिक बंदोबस्त का प्रबंधन किया जाए और उसमें जताया गया भरोसा कायम रहे।
Also Read: मुनीर का हिंदू बनाम मुस्लिम
Pic Credit: ANI