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मुनीर का हिंदू बनाम मुस्लिम

पाकिस्तानी सेना

पाकिस्तान किसी भी तरह की अब वह ताकत, वह जुनून नहीं है जो मुशर्रफ तक था। इसी कारण संभवतया 16 अप्रैल 2025 को उसके सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भाषण दे कर कहा कि कश्मीर हमारी नस, “शिरा” (jugular vein) थी और है तथा हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाईयों को उनके साहसी संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे।

मुनीर ने हिंदू और मुसलमान के अलग-अलग होने और इस कारण 1947 के दो राष्ट्र सिद्धांत की भी याद कराई। कहा, “हमें अपने बच्चों को पाकिस्तान की कहानी सुनानी चाहिए ताकि वे न भूलें कि हमारे पूर्वजों ने सोचा था कि हम हिंदुओं से हर पहलू में अलग हैं। हमारे धर्म, रीति रिवाज, परंपराएं, विचार और आकांक्षाएं अलग हैं। यही दो राष्ट्र सिद्धांत की नींव थी। हम दो राष्ट्र हैं, एक नहीं”।

मुनीर के बयान से जुड़ी पहलगाम साजिश

लाख टके का सवाल है जनरल मुनीर को फिलहाल यह क्यों कहने की जरूरत हुई? इसलिए क्योंकि कश्मीर घाटी में हालात हिंदू बनाम मुस्लिम से ऊपर उठते हुए थे। कश्मीरी हालातों में एडजस्ट होते हुए थे। नई पीढ़ी, नए बच्चे भारत की मुख्यधारा की और बढ़ते हुए थे। वही दूसरी तरफ पाकिस्तान के भीतर सेना के प्रति बेरूखी, नाराजगी पैठती हुई है। इमरान खान के बाद पाकिस्तानियों में सेना के प्रति राय बदली है। फिर पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर पाकिस्तानी सेना के निकम्मेपन, आतंकियों के हाथों खुद सैनिकों के ही मरने की घटनाओं ने भी सेना का मनोबल बिगाड़ा है।

इसलिए प्रवासी पाकिस्तानियों के सम्मेलन में जनरल मुनीर ने सेना के घटते रूतबे की हकीकत में कश्मीर, हिंदू-मुस्लिम, दो राष्ट्र का वह राग छेड़ा, जिससे अवाम में सेना की उपयोगिता का विश्वास बना रहे। पाकिस्तान फेल है, कोई उसे पूछ नहीं रहा, भारत और अफगान दोनों सीमाओं के बीच वह जकड़ा हुआ है, इस हकीकत में सेना का बड़ा सकंट यह है जो वह अपने प्रति अवाम में भरोसा बनाए रखे। वह हिंदू बनाम मुस्लिम में ढली रहे। दिल-दिमाग में कश्मीर के मुद्दे को जिंदा रखे।

संयोग कहें या साजिश का प्रमाण जो 16 अप्रैल को जनरल मुनीर का भाषण था और 22 अप्रैल को आईएसआई ने अपने आतंकियों से जनरल मुनीर की थीम में ही पहलगाम में हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव बनाने के लिए 27 पर्यटकों का मारा। जिन आतंकियों के फोटो छपी है उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पहले भी आतंकी वारदातें कीं।

लेकिन इनकी पुरानी वारदातें हिंदुओं को मारने के नैरेटिव के साथ नहीं थी। जाहिर है जनरल मुनीर, लश्कर ए तैयबा से जुड़े समूह “द रेजिस्टेंस फ्रंट” (टीआरएफ) के आतंकियों ने कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा करने, उस पर हिंदू बनाम मुस्लिम का नैरेटिव बनाने का जो पंगा बनाया है तो तार परस्पर जुड़े लगते हैं।

यदि ऐसा है तो तय मानें कि जनरल मुनीर, पाकिस्तानी सेना अपने आपको बड़ी लड़ाई के लिए तैयार किए हुए होगी। ऐसी लड़ाई, जिससे वापिस कश्मीर का मुद्दा वैश्विक चिंता में लौटे। तभी प्रधानमंत्री के ‘पहलगाम के दोषियों को मिट्टी में मिलाने’, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के “जवाब बहुत जल्द और बहुत जोरदार” दिए जाने के अर्थ बहुत भारी हैं।

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Pic Credit: ANI

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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