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बंगाल सरकार को बड़ी राहत

Centre Vs South state

नई दिल्ली। शिक्षक भर्ती घोटाले में पश्चिम बंगाल की सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने पूछा है कि क्या 25 हजार नियुक्तियों में से सही तरीके से की गई नियुक्तियों को अलग किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई छह मई को करेगा।

इससे पहले हाई कोर्ट ने 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था और यह भी आदेश दिया था कि उनको अब तक जितना वेतन मिला है उसे वापस लिया जाए। बंगाल सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी कहा था कि हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सही और गलत नियुक्तियों को कैसे अलग किया जा सकता है यह देखें। इससे पहले राज्य सरकार ने यह भी कहा था कुछ नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है उन्हें खारिज कर बाकी को रहने दिया जाए।

अदालत को बताया कि परीक्षार्थियों के जवाब वाले ओएमआर शीट को नष्ट कर दिया गया है। इस पर अदालत ने कहा कि कुछ और दस्तावेज हों तो उन्हें देखा जाए। बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सभी नियुक्तियों को खारिज कर दिया गया है, जबकि सीबीआई को अब तक जांच में सिर्फआठ हजार नियुक्तियों में खामियां मिली हैं। स्कूल सर्विस कमीशन ने भी कहा कि जो नियुक्तियां सही तरह से हो सकती थीं, उन्हें अलग किया जा सकता था।

इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2016 में की गई 25 हजार 753 नियुक्तियों को 22 अप्रैल को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने इन शिक्षकों को सात से आठ साल के दौरान मिला वेतन 12 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने के निर्देश भी दिए हैं। इसके लिए कोर्ट ने छह हफ्ते का समय दिया है। बहरहाल, सोमवार को सुनवाई में चीफ जस्टिस ने पूछा कि ओएमआर शीट नष्ट कर दी गई हैं, क्या ऐसे में सही तरह से किए गए अपॉइंटमेंट को अलग किया जा सकता है?

उन्होंने सरकार से पूछा- क्या अब जो दस्तावेज मौजूद हैं, उनके आधार पर सही और गलत नियुक्तियों को अलग-अलग किया जा सकता है? यह पता लगाया जा सकता है कि इस घोटाले का फायदा किसे पहुंचा? 25 हजार बहुत बड़ी संख्या है। 25 हजार नौकरियां ले ली गईं, ये बड़ी बात है, जब तक कि हम यह ना जान लें कि सब कुछ धोखाधड़ी से भरा हुआ था। हम इस पर छह मई को सुनवाई करेंगे। गौरतलब है कि इस मामले में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया था। उनके पास से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे।

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