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सिडनी में मोदी मोदी के नारे!

ByNI Desk,
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सिडनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंगलवार को सिडनी में भारतीय मूल के लोगों ने जबरदस्त स्वागत किया। ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों से सिडनी पहुंचे प्रवासी भारतीयों ने सड़कों पर मोदी मोदी के नारे लगाए। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को सिडनी के कुडोस बैंक एरिना में भारतीय मूल के 20 हजार से ज्यादा लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा- भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। हमारे लिए पूरी दुनिया एक परिवार है। भारत-ऑस्ट्रेलिया का रिश्ता भरोसे और सम्मान पर टिका है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- मैंने पिछले दौरे के वक्त 2014 में वादा किया था कि ऑस्ट्रेलिया को फिर किसी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए 28 साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने मोदी की तारीफ करते हुए कहा- मोदी इज द बॉस! उन्होंने कहा- पहली बार यहां ऑस्ट्रेलिया में किसी प्रधानमंत्री का इतना भव्य स्वागत हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। हम दोनों देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर रिश्तों को और मजबूत करेंगे।

प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों पर कहा- एक समय था जब हमारे संबंधों को तीन सी यानी कॉमनवेल्थ, क्रिकेट, करी। तीन डी यानी डेमोक्रेसी, डायस्पोरा, दोस्ती और तीन ई यानी एनर्जी, इकोनॉमी, एजुकेशन पर आधारित बताया जाता था। मगर अब इन संबंधों का आधार आपसी विश्वास और सम्मान है। उन्होंने कहा- हिंद महासागर हमें आपस में जोड़ता है। हमारे यहां त्योहार भले ही अलग-अलग मनाए जाते हैं, लेकिन फिर भी हम दिवाली की रौनक और बैसाखी जैसे त्योहारों से जुड़े हुए हैं।

भारत की सामार्थ्य बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा- भारत के पास सामर्थ्य और संसाधनों की कोई कमी नहीं है। दुनिया की सबसे बड़ी और युवा टैलेंट फैक्टरी भारत के पास है। भारतीय कहीं भी रहे, उनमें एक मानवीय स्वभाव मौजूद रहता है। भारत हर संकट में मदद और समाधान के लिए तैयार रहता है। उन्होंने कहा- भारत अपने हितों को सबके हितों से जोड़ कर देखता है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप लगातार बढ़ रही है। जल्द ही दोनों देशों के बीच ट्रेड दोगुना हो जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीयों के बीच अपने भाषण में कई अहम घोषणाएं भी कीं। उन्होंने बताया कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक-दूसरे की डिग्रियों को मान्यता देने पर बातचीत आगे बढ़ी है। इसका दोनों देशों के छात्रों को फायदा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिस्बेन में भारत का नया कॉन्सुलेट खोला जाएगा।

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