nayaindia Economic Survey 2022-23 GDP Indian Economy commodity prices जिंस कीमतें अधिक होने से बढ़ सकता है चालू खाते का घाटा

जिंस कीमतें अधिक होने से बढ़ सकता है चालू खाते का घाटा

नई दिल्ली। संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतें (commodity prices) बढ़ने से चालू खाते का घाटा (कैड) और बढ़ सकता है। लिहाजा इस पर करीबी नजर रखने की जरूरत है।

भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) के आंकड़ों के मुताबिक, देश का चालू खाते का घाटा सितंबर, 2022 की तिमाही में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी-GDP) का 4.4 प्रतिशत हो गया। यह अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था।

वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया, काफी हद तक घरेलू मांग बढ़ने और कुछ हद तक निर्यात की वजह से पुनरुद्धार तेजी से हुआ है जिससे चालू खाता संतुलन का जोखिम बढ़ा है। ऐसी स्थिति में चालू खाते का घाटा पर करीबी नजर रखने की जरूरत है क्योंकि चालू वित्त वर्ष की वृद्धि रफ्तार अगले साल तक जा सकती है।’ आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में अबतक आयात में वृद्धि की दर निर्यात की वृद्धि दर के मुकाबले कहीं अधिक रही है। इस वजह से व्यापार घाटा बढ़ गया है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की तरफ से संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, दुनिया की अधिकांश मुद्राओं की तुलना में रुपये का प्रदर्शन बेहतर रहने के बावजूद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा के मूल्य में ह्रास की चुनौती बनी हुई है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से नीतिगत दरों में और बढ़ोतरी होने पर रुपये की कीमत पर दबाव रह सकता है।

आर्थिक समीक्षा कहती है, चालू खाते का घाटा आगे भी बढ़ सकता है क्योंकि वैश्विक जिंस कीमतें अधिक हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि रफ्तार मजबूत बनी हुई है। निर्यात प्रोत्साहन में आगे और भी गिरावट संभव है क्योंकि वैश्विक वृद्धि एवं व्यापार धीमा पड़ने से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वैश्विक बाजार का आकार घट सकता है।

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दूसरी तरफ आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक वृद्धि सुस्त पड़ने से कच्चे तेल के दाम नरम रहने के साथ ही भारत का चालू खाते का घाटा इस समय पेश अनुमान से बेहतर रहेगा। (भाषा)

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