GDP

  • चार साल में सबसे कम विकास दर

    india GDP:  कोरोना वायरस की महामारी के बाद पिछले चार साल में सबसे कम विकास दर इस साल रहेगी। केंद्र सरकार ने माना है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर 6.4 फीसदी रहेगी। भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय ने मंगलवार, सात जनवरी विकास दर के अनुमान का आंकड़ा जारी किया है। अगर साल दर साल के हिसाब से देखें तो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस साल विकास दर में 1.8 फीसदी की बड़ी कमी होगी। वित्त वर्ष 2023-24 में विकास दर 8.2 फीसदी रही थी। also read: ट्रूडो की विदाई मोदी के...

  • विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी

    नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी। भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर का अनुमान 6.5 फीसदी घोषित किया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर की तिमाही के दौरान जीडीपी की विकास दर घट कर 5.4 फीसदी आ जाने और निजी उपभोग में कमी आने की वजह से भारत सरकार को विकास दर का अनुमान कम करना पड़ा है। भारत सरकार से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने विकास दर का अनुमान सात  फीसदी पर बरकरार...

  • एडीबी ने विकास दर का अनुमान घटाया

    नई दिल्ली। मॉर्गन स्टेनली के बाद अब एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी ने भी भारत के विकास दर का अनुमान घटा दिया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर में बड़ी गिरावट के बाद एक एक करके एजेंसियां अपने अनुमानों की समीक्षा कर रही हैं। एडीबी ने बुधवार को वित्त वर्ष 2024-25 भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर के अनुमान को घटा कर 6.5 फीसदी कर दिया है। इससे पहले एडीबी ने विकास दर का अनुमान सात फीसदी बताया था। एडीबी ने निजी निवेश और मकानों की मांग में उम्मीद से कम विकास...

  • सूचकांकों का संदेश

    धनी और सरकारी सहायता पर निर्भर वर्ग तबके बेहतर स्थिति में हैं। मगर जिनकी जिंदगी मेहनत या उद्यम पर निर्भर है, वे तबके अपने उपभोग में कटौती कर रहे हैं, जिसका असर कॉरपोरेट्स तक पहुंचने लगा है।  डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत के गिरने का सोमवार को फिर ‘रिकॉर्ड बना’, जब ये कीमत 84.70 रुपये तक जा गिरी। मुद्राओं की कीमत के गिरने या उठने के कुछ अंतरराष्ट्रीय कारण भी होते हैं, इसलिए दलील दी जा सकती है कि इस रुझान के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कोई आम समझ नहीं बनाई जा सकती। मगर अनेक...

  • जीडीपी के आकलन का बेस ईयर बदला

    GDP calculation base year:  केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आकलन के लिए बेस ईयर में बदलाव करने की घोषणा की है। इसमें बदलाव करते हुए अब 2011-12 से 2022-23 करने का फैसला किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार नए आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2022-23 से करेगी। इससे जीडीपी का सबसे सटीक अनुमान मिलेगा। also read: नए साल का झटका: महंगी हो सकती हैं सिगरेट-तंबाकू के कश,कपड़े की कीमतों में बढ़ोतरी पिछले एक दशक से ज्यादा समय से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।...

  • विकास दर में बड़ी गिरावट

    GDP calculation base year:  केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आकलन के लिए बेस ईयर में बदलाव करने की घोषणा की है। इसमें बदलाव करते हुए अब 2011-12 से 2022-23 करने का फैसला किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार नए आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2022-23 से करेगी। इससे जीडीपी का सबसे सटीक अनुमान मिलेगा। also read: नए साल का झटका: महंगी हो सकती हैं सिगरेट-तंबाकू के कश,कपड़े की कीमतों में बढ़ोतरी पिछले एक दशक से ज्यादा समय से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।...

  • चमक पर ग्रहण क्यों?

    GDP calculation base year:  केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आकलन के लिए बेस ईयर में बदलाव करने की घोषणा की है। इसमें बदलाव करते हुए अब 2011-12 से 2022-23 करने का फैसला किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार नए आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2022-23 से करेगी। इससे जीडीपी का सबसे सटीक अनुमान मिलेगा। also read: नए साल का झटका: महंगी हो सकती हैं सिगरेट-तंबाकू के कश,कपड़े की कीमतों में बढ़ोतरी पिछले एक दशक से ज्यादा समय से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।...

  • विश्व बैंक ने विकास दर का अनुमान बढ़ाया

    GDP calculation base year:  केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आकलन के लिए बेस ईयर में बदलाव करने की घोषणा की है। इसमें बदलाव करते हुए अब 2011-12 से 2022-23 करने का फैसला किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार नए आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2022-23 से करेगी। इससे जीडीपी का सबसे सटीक अनुमान मिलेगा। also read: नए साल का झटका: महंगी हो सकती हैं सिगरेट-तंबाकू के कश,कपड़े की कीमतों में बढ़ोतरी पिछले एक दशक से ज्यादा समय से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।...

  • यही तो मसला है

    GDP calculation base year:  केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आकलन के लिए बेस ईयर में बदलाव करने की घोषणा की है। इसमें बदलाव करते हुए अब 2011-12 से 2022-23 करने का फैसला किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार नए आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2022-23 से करेगी। इससे जीडीपी का सबसे सटीक अनुमान मिलेगा। also read: नए साल का झटका: महंगी हो सकती हैं सिगरेट-तंबाकू के कश,कपड़े की कीमतों में बढ़ोतरी पिछले एक दशक से ज्यादा समय से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।...

  • अगस्त में एक लाख 75 हजार करोड़ जीएसटी मिली

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  • पहली तिमाही में विकास दर 6.7 फीसदी रही

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  • रिटेल सेक्टर में मंदी

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  • आर्थिक सर्वेक्षण: चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 6.5-7% की दर से बढ़ेगी

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  • प्रत्यक्ष टैक्स संग्रह में 21 प्रतिशत बढोतरी

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  • आरबीआई की बैलेंस शीट बनाम पाकिस्तानी जीडीपी

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  • विकास दर 8.2 फीसदी रही

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  • जीडीपी आंकड़ों पर अविश्वास

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  • बढ़ रही है बदहाली

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  • खाने पीने की चीजें महंगी हुई पर महंगाई दर घटी

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  • कहानी का कुल सार

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