GDP

  • 1,687 लोगों के पास आधी भारत जीडीपी

    नई दिल्ली। भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता और संपत्ति के केंद्रीकरण का एक और बड़ा सबूत सामने आया है। पिछले 13 साल से हर साल देश के सबसे अमीर लोगों की सूची बनाने वाली कंपनी हुरुन इंडिया ने बताया है कि भारत की आधी जीडीपी के बराबर संपत्ति देश के सिर्फ 1,687 लोगों के पास है। हुरुन इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इन 1,687 लोगों के कुल संपत्ति 167 लाख करोड़ रुपए है। इन लोगों में सबसे अमीर रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी हैं, जिनकी संपत्ति 9.55 लाख करोड़ रुपए है। हुरुन इंडिया की भारत के सबसे अमीर हस्तियों की...

  • आँकड़े “पकाने” से फूला है जीडीपी गुब्बारा!

    भारत ने 2015 से जीडीपी (GDP) के आँकड़े “पकाने” शुरू किए और लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर तक उन्हें फुला दिया। जबकि नोटबंदी एक आर्थिक आपदा थी। ... 2019 में अरविंद सुब्रमणियन, जो भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं, ने कहा था कि 2015 में आँकड़ों की पद्धति बदलने से 2011–17 के बीच विकास दर सालाना 2.5 प्रतिशत अंक तक बढ़ाकर दिखाई गई। नया बेस ईयर 2004–05 की जगह 2011–12 कर दिया गया और कॉरपोरेट फाइलिंग जैसे नए स्रोतों को शामिल किया गया। दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले बाज़ारों से लेकर बेंगलुरु के चमकते आईटी हब तक कहीं भी खड़े...

  • आधा फीसदी कम हो सकती है जीडीपी

    नई दिल्ली। अमेरिका की ओर से लगाई गई 50 फीसदी टैरिफ से इस साल भारत की जीडीपी की विकास दर आधा फीसदी तक कम हो सकती है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने इस बात की आशंका जताई है। ‘ब्लूमबर्ग टीवी’ को दिए इंटरव्यू में नागेश्वरन ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि ये अतिरिक्त टैरिफ ज्यादा दिन नहीं चलेगा। इस फाइनेंशियल ईयर में ये टैरिफ जितने समय तक रहेगा, उसका जीडीपी पर 0.5 फीसदी से 0.6 फीसदी तक असर हो सकता है’। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर ये टैरिफ अगले साल तक खिंचता है, तो असर और बड़ा...

  • आश्चर्य से उपजा संदेह

    गोल्डमैन शैक्स के अर्थशास्त्रियों की यह टिप्पणी महत्त्वपूर्ण हैः ‘जीडीपी वृद्धि दर की बताई गई संख्या संभवतः वास्तविक दर को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है। कारण गणना में असामान्य रूप से न्यून डिफ्लेटर का इस्तेमाल है।’ भारत ने अप्रैल- जून तिमाही में जो आश्चर्यजनक ऊंची आर्थिक वृद्धि दर हासिल की, उससे सभी चकित हुए। यह बात आसानी से गले नहीं उतरी कि जिस समय सुर्खियों में अमेरिकी टैरिफ की मार, विदेशी वित्तीय संस्थानों के भारत से पैसा निकालने, रुपये की कीमत में रिकॉर्ड गिरावट आदि की खबरें छायी रही हैं, उसी दौरान सकल घरेलू उत्पाद 7.8 फीसदी की ऊंची...

  • उम्मीद से ऊंची विकास दर

    नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत को ‘डेड इकोनॉमी’ बताने के बाद आर्थिक विकास का पहला आंकड़ा जारी हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के आंकड़े के मुताबिक भारत की विकास दर उम्मीद से बहुत ऊंची रही है। पहली तिमाही में यानी अप्रैल से जून के बीच भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर 7.8 फीसदी रही। यह पिछली पांच तिमाही यानी डेढ़ साल में सबसे ज्यादा है। पिछले साल की इसी तिमाही में विकास दर 6.5 फीसदी थी यानी साल दर साल के आधार पर इसमें इसमें 1.3 फीसदी की...

  • औद्योगिक विकास दर में गिरावट

    नई दिल्ली। अलग अलग एजेंसियों के भारत की विकास दर का अनुमान घटाने के बीच भारत  की अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी खबर है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में देश की औद्योगिक विकास दर में बड़ी गिरावट हुई और यह सात महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। फरवरी में औद्योगिक विकास दर 2.9 फीसदी रही। इससे पहले जनवरी के महीने में ये पांच फीसदी थी। विनिर्माण और माइनिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन के कारण औद्योगिक विकास दर कम हुई है। गौरतलब है कि औद्योगिक उत्पादन में विनिर्माण सेक्टर का तीन चौथाई से ज्यादा...

  • विकास दर का घटेगी

    नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और दुनिया के अनेक देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के ऐलान के बाद एजेंसियों ने भारत के विकास दर के अनुमान को कम करना शुरू कर दिया है। मूडीज रेटिंग्स ने गुरुवार को भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा कर 6.1 फीसदी कर दिया। इससे पहले मूडीज ने 2025 में विकास दर का अनुमान 6.4 फीसदी रखा था। मूडीज ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि हीरे, कपड़े और चिकित्सा उपकरणों पर अमेरिकी शुल्क से निर्यात घटने का खतरा है। इससे अमेरिका के साथ व्यापार घाटा बढ़...

  • जीएसटी के ही भरोसे!

    india GST : अब जीएसटी आंकड़ों को जीडीपी आकलन का पैमाना बनाया जा सकता है। सरकार में समझ बनी है कि जीएसटी की उगाही आर्थिक गतिविधियों का संकेत है। मगर जीएसटी के साथ एक पेच है, जिस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। खबर है कि जीडीपी की गणना की अगली शृंखला में जीएसटी की उगाही को एक पैमाना बनाया जा सकता है। नए पैमानों पर मापी गई जीडीपी की अगली शृंखला फरवरी 2026 से लागू होने वाली है। सरकारी हलकों में समझ बनी है कि जीएसटी की उगाही निजी उपभोग को मापने का बेहतर पैमाना है। जीएसटी के...

  • चार साल में सबसे कम विकास दर

    india GDP:  कोरोना वायरस की महामारी के बाद पिछले चार साल में सबसे कम विकास दर इस साल रहेगी। केंद्र सरकार ने माना है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर 6.4 फीसदी रहेगी। भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय ने मंगलवार, सात जनवरी विकास दर के अनुमान का आंकड़ा जारी किया है। अगर साल दर साल के हिसाब से देखें तो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस साल विकास दर में 1.8 फीसदी की बड़ी कमी होगी। वित्त वर्ष 2023-24 में विकास दर 8.2 फीसदी रही थी। also read: ट्रूडो की विदाई मोदी के...

  • विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी

    नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी। भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर का अनुमान 6.5 फीसदी घोषित किया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर की तिमाही के दौरान जीडीपी की विकास दर घट कर 5.4 फीसदी आ जाने और निजी उपभोग में कमी आने की वजह से भारत सरकार को विकास दर का अनुमान कम करना पड़ा है। भारत सरकार से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने विकास दर का अनुमान सात  फीसदी पर बरकरार...

  • एडीबी ने विकास दर का अनुमान घटाया

    नई दिल्ली। मॉर्गन स्टेनली के बाद अब एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी ने भी भारत के विकास दर का अनुमान घटा दिया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर में बड़ी गिरावट के बाद एक एक करके एजेंसियां अपने अनुमानों की समीक्षा कर रही हैं। एडीबी ने बुधवार को वित्त वर्ष 2024-25 भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर के अनुमान को घटा कर 6.5 फीसदी कर दिया है। इससे पहले एडीबी ने विकास दर का अनुमान सात फीसदी बताया था। एडीबी ने निजी निवेश और मकानों की मांग में उम्मीद से कम विकास...

  • सूचकांकों का संदेश

    धनी और सरकारी सहायता पर निर्भर वर्ग तबके बेहतर स्थिति में हैं। मगर जिनकी जिंदगी मेहनत या उद्यम पर निर्भर है, वे तबके अपने उपभोग में कटौती कर रहे हैं, जिसका असर कॉरपोरेट्स तक पहुंचने लगा है।  डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत के गिरने का सोमवार को फिर ‘रिकॉर्ड बना’, जब ये कीमत 84.70 रुपये तक जा गिरी। मुद्राओं की कीमत के गिरने या उठने के कुछ अंतरराष्ट्रीय कारण भी होते हैं, इसलिए दलील दी जा सकती है कि इस रुझान के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कोई आम समझ नहीं बनाई जा सकती। मगर अनेक...

  • जीडीपी के आकलन का बेस ईयर बदला

    GDP calculation base year:  केंद्र सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आकलन के लिए बेस ईयर में बदलाव करने की घोषणा की है। इसमें बदलाव करते हुए अब 2011-12 से 2022-23 करने का फैसला किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए सरकार नए आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2022-23 से करेगी। इससे जीडीपी का सबसे सटीक अनुमान मिलेगा। also read: नए साल का झटका: महंगी हो सकती हैं सिगरेट-तंबाकू के कश,कपड़े की कीमतों में बढ़ोतरी पिछले एक दशक से ज्यादा समय से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।...

  • विकास दर में बड़ी गिरावट

    India GDP Growth Slowed:  देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का बड़ा संकेत मिला है। शुक्रवार, 29 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के बीच विकास दर घट कर 5.4 फीसदी पर आ गई है। साल दर साल के हिसाब से देखें तो एक साल पहले इसी अवधि में विकास दर 8.1 फीसदी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, एनएसओ की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई से सितंबर 2024 में विकास दर पिछले करीब दो साल में...

  • चमक पर ग्रहण क्यों?

    वित्तीय बाजारों की चमक ही एकमात्र पहलू है, जिस पर भारत के आर्थिक उदय का सारा कथानक टिका हुआ है। वरना, निवेश-उत्पादन-वितरण की वास्तविक अर्थव्यवस्था किसी कोण से चमकती नजर नहीं आती। अब वित्तीय बाजारों पर भी ग्रहण के संकेत हैं। अक्टूबर में विदेशी पोर्टपोलियो निवेशकों (एफपीआईज) ने भारतीय बाजारों से लगभग 94,000 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह अभूतपूर्व है। इसके पहले किसी एक महीने में एफपीआईज ने इतनी बड़ी निकासी नहीं की थी। कोरोना महामारी ने जब दस्तक दी थी, तब मार्च 2020 में इन निवेशकों ने 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे, जो अब तक का रिकॉर्ड था। ताजा...

  • विश्व बैंक ने विकास दर का अनुमान बढ़ाया

    नई दिल्ली। विश्व बैंक ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी विकास की दर का अनुमान बढ़ा दिया है। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के जीडीपी विकास दर के अनुमान को 6.6 से बढ़ाकर सात  फीसदी कर दिया है। भारत में विश्व बैंक के निदेशक अगस्टे तानो कौमे ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष यानी 2023-2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी, जो सबसे तेज रही। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी अच्छी रफ्तार से बढ़ रही है। ऐसे में विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर...

  • यही तो मसला है

    अर्थव्यवस्था इस हद तक कैपेक्स पर निर्भर क्यों है? संकट के समय में आर्थिक हालात को संभालने के लिए यह रास्ता उचित माना जाता है। लेकिन सामान्य समय में भी यही तरीका बचा रहे, तो यही माना जाएगा सामान्य आर्थिक चक्र कमजोर हो चुका है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में बड़ी गिरावट आई। उसके पहले वाली तिमाही में ये दर 7.8 प्रतिशत थी, जो अप्रैल-जून में 6.7 फीसदी रह गई। इसका कारण बताते हुए भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा- ‘यह गिरावट हमारी अपेक्षाओं...

  • अगस्त में एक लाख 75 हजार करोड़ जीएसटी मिली

    नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक महीने तक स्थगित रखने के बाद जीएसटी के आंकड़े जारी करने का सिलसिला फिर शुरू कर दिया है। एक सितंबर को सरकार ने अगस्त महीने का वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी वसूली का आंकड़ा जारी किया। इसके मुताबिक अगस्त में सरकार को जीएसटी के मद में 1,74,962 यानी करीब 1.75 लाख करोड़ रुपए मिले हैं। सालाना आधार पर इसमें 10% की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल अगस्त में एक लाख 59 हजार करोड़ रुपए जीएसटी इकट्ठा किया गया था। बहरहाल, सरकार  आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में घरेलू कारोबार से सवा लाख करोड़ टैक्स...

  • पहली तिमाही में विकास दर 6.7 फीसदी रही

    नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में विकास दर में कमी आई है। अप्रैल से जून के पहले तीन महीने में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी विकास की दर घट कर 6.7 फीसदी पर आ गई। यह पिछली पांच तिमाही यानी 15 महीने में सबसे कम है। पिछले साल की समान तिमाही यानी वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में विकास दर 8.2 फीसदी रही थी। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े शुक्रवार, 30 अगस्त को जारी किए हैं। माना जा रहा है कि कृषि और सर्विस सेक्टर के खराब...

  • रिटेल सेक्टर में मंदी

    पिछले वित्त वर्ष में रिटेल सेक्टर के कारोबार में चार प्रतिशत की गिरावट आई। कोरोना महामारी के बाद इस क्षेत्र में उछाल देखने को मिला था। लेकिन वह दौर गुजर चुका है। रिटेल सेक्टर में मंदी की पुष्टि दूसरे आंकड़ों से भी होती है। संगठित रिटेल सेक्टर पिछले वित्त वर्ष (2023-24) किन हालात से गुजरा, इसकी एक झलक अब सामने आई है। ये खबर आम भारतीयों की माली हालत का एक आईना भी है। पिछले वित्त वर्ष में संगठित रिटेल सेक्टर में हजारों कर्मचारियों की छंटनी की गई। सिर्फ पांच बड़े रिटेलर्स- रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिटेल शाखा, टाइटन, रेमंड, पेज...

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