nayaindia Supreme Court Prohibition on demolishing residential units in Vishwas Nagar दिल्ली के विश्वास नगर में आवासीय इकाइयां गिराने पर रोक

दिल्ली के विश्वास नगर में आवासीय इकाइयां गिराने पर रोक

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को सोमवार को निर्देश दिया कि वह पूर्वी दिल्ली के विश्वास नगर इलाके में उसकी जमीन पर बनी 800 से अधिक कथित अवैध आवासीय इकाइयां गिराने के अपने अभियान को एक सप्ताह के लिए रोक दे ताकि निवासी किसी और जगह जा सकें।

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति संजय करोल की अवकाशकालीन पीठ ने डीडीए (DDA) को अतिक्रमण हटाने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल एवं खंड पीठों के आदेशों में कोई त्रुटि नहीं पाई।

न्यायालय में वकील सुनीता ओझा ने डीडीए का प्रतिनिधित्व किया। पीठ ने डीडीए को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह जुलाई के दूसरे सप्ताह में इस मामले पर विचार करेगी कि जिन निवासियों को उनकी आवासीय इकाइयों ()Unauthorized Housing Units से हटाए जाने का अनुरोध किया गया है, वे दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड अधिनियम या किसी अन्य कानून के तहत भू-स्वामी एजेंसी द्वारा पुनर्वास किए जाने के हकदार हैं या नहीं।

उसने अपने आदेश में कहा, हमें यह सूचित किया गया है कि ध्वस्तीकरण का काम आज सुबह आठ बजे शुरू हो गया। जहां तक वर्तमान निवास स्थल पर रहने के अधिकार का संबंध है, हम दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करते। पीठ ने कहा, ‘‘हम मानवीय आधार पर उन्हें संबंधित परिसर 29 मई, 2023 तक खाली करने के लिए सात दिन का समय देते हैं और इसके बाद डीडीए को किसी एजेंसी की मदद से विध्वंस संबंधी गतिविधियों को फिर से शुरू करने की अनुमति होगी।

पीठ ने डीडीए की वकील को अधिकारियों को इस आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया ताकि विध्वंस अभियान को तुरंत रोका जा सके। यह आदेश पूर्वी दिल्ली के विश्वास नगर इलाके के अंतर्गत आने वाले कस्तूरबा नगर इलाके के कुछ निवासियों द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया गया है।

याचिकाकर्ताओं ने 18 मई को जारी किए गए आवासीय इकाइयां गिराने के डीडीए के नोटिस को चुनौती दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल 14 मार्च को डीडीए को आवासीय इकाइयां गिराने से रोकने से इनकार कर दिया था। (भाषा)

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