nayaindia Maharashtra Koregaon-Bhima violence inquiry commission Extension कोरेगांव-भीमा हिंसाः जांच आयोग को मिला विस्तार

कोरेगांव-भीमा हिंसाः जांच आयोग को मिला विस्तार

पुणे। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) ने कोरेगांव-भीमा हिंसा (Koregaon-Bhima violence) मामले की जांच के लिए गठित आयोग (commission) को तीन महीने का नया विस्तार दिया है। जांच आयोग (inquiry commission) ने कुछ गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए और समय की मांग की थी। एक जनवरी, 2018 को पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा में हुई हिंसा की जांच के लिए यह आयोग गठित किया गया था। दो सदस्यीय जांच आयोग को पहले दिया गया विस्तार 31 दिसंबर, 2022 तक वैध था।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, जांच आयोग को 31 दिसंबर, 2022 तक का समय दिया गया था। अब आयोग को अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए 31 मार्च, 2023 तक का समय दिया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि जांच आयोग ने कार्यकाल बढ़ाने की मांग की है क्योंकि उसे कुछ गवाहों के बयान दर्ज करने हैं और उनसे जिरह भी करनी है।

दो सदस्यीय जांच आयोग उन परिस्थितियों की जांच कर रहा है, जिनके कारण हिंसा भड़की। आयोग में कलकत्ता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एन पटेल और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक हैं।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्ता में रहने के दौरान ही वर्ष 2018 में इस जांच आयोग का गठन किया गया था। तब से आयोग को कई सेवा विस्तार दिए गए हैं। एक जनवरी, 2018 को पुणे जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी।

इतिहासकारों के अनुसार एक जनवरी, 1818 को कोरेगांव भीमा में पेशवा की फौज से लड़ने वाली ब्रिटिश सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के सैनिक शामिल थे, जिन्होंने पेशवा के ‘जातिवाद’ से मुक्ति के लिए युद्ध छेड़ा था।

हर साल इस दिन, बड़ी संख्या में लोग, मुख्य रूप से दलित समुदाय के व्यक्ति ‘जयस्तंभ’ पहुंचते हैं। अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा के खिलाफ लड़ने वाले सैनिकों की याद में यह स्मारक बनवाया था। एक जनवरी, 2018 को ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान कोरेगांव भीमा गांव के पास हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। पुणे पुलिस के अनुसार, एक दिन पहले पुणे शहर में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए ‘‘भड़काऊ’’ भाषणों की वजह से हिंसा भड़की थी। (भाषा)

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें