पिछले साल अप्रैल में चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने वैश्विक विकास पहल की धारणा पेश की थी। अब चीन ने वैश्विक सुरक्षा प्रस्ताव को पेश किया है। चीन का दावा है कि नया प्रस्ताव वैश्विक शांति और सुरक्षा के संबंध में उसकी मूल अवधारणाओं का दस्तावेज है।
विश्व व्यवस्था के प्रति अपना नजरिया रखने का सिलसिला चीन जारी रखे हुए है। इसके पीछे कारण संभवतः उसकी यह सोच है कि अब दुनिया को अपने नजरिए से प्रभावित करने में वह सक्षम हो चुका है। पिछले साल अप्रैल में चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने वैश्विक विकास पहल (जीडीआई) की धारणा पेश की थी। अब चीन ने वैश्विक सुरक्षा प्रस्ताव (जीएसआई) को पेश किया है। चीन का दावा है कि नया प्रस्ताव वैश्विक शांति और सुरक्षा के संबंध में उसकी मूल अवधारणाओं और सिद्धांतों का दस्तावेज है। हाल ही में जर्मनी के म्युनिख में सुरक्षा सम्मेलन में चीन के केंद्र सरकार के विदेश मामलों के आयोग के प्रभारी वांग यी ने कहा था कि एक सुरक्षित दुनिया के लिए विभिन्न देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा था कि एक सुरक्षित दुनिया के लिए हमें बातचीत और परामर्श के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देना चाहिए। एक सुरक्षित विश्व के लिए हम सभी को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों की ओर लौटना होगा।
इन बातों को जीएसआई में भी दोहराया गया है। नए चीनी विदेश मंत्री चिन गांग ने कहा है उनका देश “बातचीत और परामर्श को बढ़ावा देने के लिए” अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करेगा, सभी पक्षों की चिंताओं को दूर करेगा और सभी की सुरक्षा के रास्ते तलाश करेगा। अगर चीन का सचमुच यही इरादा है, तो इस प्रस्ताव को स्वागतयोग्य दस्तावेज माना जाएगा। लेकिन आम शिकायत यह है कि चीन अब रूस के साथ मिल कर अपने ढंग की विश्व व्यवस्था बनाने के प्रयास में है। दुनिया को बहुत से देशों को आशंका है कि जैसा अब तक पश्चिमी देशों का वर्चस्व रहा है, चीन भविष्य वैसा ही अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश कर सकता है। इसलिए चीन हर पहल विवादित हो जाती है। इसलिए अगर चीन सचमुच वैश्विक सुरक्षा को उसी नजरिए से देखता है, जिसका बखान उसने अपने दस्तावेज में किया है, तो उसे बाकी दुनिया को भरोसे में लेने की कोशिश करनी चाहिए।