नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी में आकाश आनंद को हटाने और जिम्मेदारी देने का खेल जारी है। पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने अपनी भतीजे आकाश आनंद को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्होंने आकाश को बहुजन समाज पार्टी का चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया है। यह पार्टी में नंबर दो की पोजिशन है। इसका मतलब है कि मायावती के बाद अब पार्टी में आकाश होंगे। इसके लिए मायावती ने चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर का पद बनाया है। पहले आकाश को दो बार नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। पिछली बार उनको हटाने के बाद मायावती ने जिनको नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया था उनको हटाने की बजाय मायावती ने उनसे ऊपर का पद बना दिया।
आकाश को अब तक का सबसे बड़ा पद दिया गया है। पार्टी ने पहली बार चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर का पद बनाया है। इससे पहले आकाश नेशनल को-ऑडिनेटर थे। असल में बसपा तीन हिस्सों में बंटी है। उत्तर भारत, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत। इसे तीन नेशनल कोऑडिनेटर देखते हैं। तीन नेशनल कोऑडिनेटर राजा राम, रामजी गौतम और रणधीर सिंह बेनीवाल हैं। अब ये तीनों आकाश को रिपोर्ट करेंगे।
गौरतलब है कि मायावती ने पिछले करीब डेढ़ साल में आकाश को दो बार नेशनल कोऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी बनाया था। लेकिन, दोनों ही बार हटा दिया गया। इसके बाद आकाश को तीन मार्च को पार्टी से निकाल दिया गया था। 40 दिन बाद, सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद मायावती ने उन्हें पार्टी में वापस लिया था। इसके बाद से ही उन्हें पार्टी में बड़ा पद मिलने की संभावना जताई जा रही थी। उनको जिम्मेदारी देने से पहले मायावती ने पार्टी के नेताओं से कहा था कि वे आकाश का सहयोग करें।
बहरहाल, करीब एक साल बाद रविवार को दिल्ली में बसपा की ऑल इंडिया कमेटी की बैठक हुई। इसमें मायावती के साथ आकाश आनंद भी शामिल हुए। वह मायावती के पीछे पीछे मीटिंग हॉल तक पहुंचे। मायावती के कुर्सी पर बैठने तक आकाश साइड में खड़े रहे। बसपा की बैठक में मौजूद सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों, मंडल कोऑर्डिनेटरों और प्रभारी नेताओं की मौजूदगी में मायावती ने आकाश के नाम का ऐलान किया। उन्होंने कहा, ‘आकाश को फिर से प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें पार्टी के भविष्य के कार्यक्रमों की अगुवाई का दायित्व दिया गया है। इस बार उम्मीद है कि आकाश, पार्टी और मूवमेंट के हित में पूरी सावधानी और मिशनरी भावना से योगदान देंगे। वह खरा उतरेंगे’।
मायावती की पार्टी ने रविवार को हुई बैठक में तय किया कि बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा अपने बलबूते पर अकेले चुनाव लड़ेगी। सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। बैठक में पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जनविरोधी सत्ता के विकल्प के रूप में बसपा को स्थापित करने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को तन मन धन से जुटने का निर्देश दिया गया।