नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर परोक्ष कटाक्ष करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अलग-अलग योजनाओं से लाखों करोड़ रुपये की बचत की, लेकिन इसका उपयोग ‘शीशमहल’ बनाने पर नहीं, बल्कि देश बनाने के लिए किया है।
प्रधानमंत्री ने दिल्ली में पीएम संग्रहालय बनाने, सरदार पटेल की स्टेचू ऑफ यूनिटी बनाने, अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और तीन तलाक समाप्त करने जैसे फैसलों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि जब सत्ता सेवा बन जाए तब राष्ट्र निर्माण होता है और जब सत्ता को विरासत बना दिया जाए तो लोकतंत्र खत्म हो जाता है।
उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में हुई चर्चा का जवाब दिया।
प्रधानमंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण से संबंधित धन्यवाद प्रस्ताव को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से एक दिन पहले ‘शीशमहल’ (केजरीवाल का पूर्व आधिकारिक निवास) का मुद्दा उठाया।
उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बिना उन पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘कुछ नेताओं का फोकस (ध्यान) जकूजी पर, स्टाइलिश शॉवर पर है, लेकिन हमारा फोकस हर घर जल पहुंचाने पर है।’’
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद गत 31 जनवरी को राहुल गांधी द्वारा संसद परिसर में की गई एक टिप्पणी का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘‘जो लोग गरीबों की झोपड़ियों में अपना फोटो सेशन कराकर अपना मनोरंजन करते हैं, उन्हें संसद में गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी।’’
उन्होंने विपक्ष पर हताश होने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘योजनाबद्ध तरीके से, समर्पित भाव से, अपनेपन की पूरी संवेदनशीलता के साथ जब गरीबों के लिए जीवन खपाया जाता है तब यह होता है। हमने गरीब को झूठे नारे नहीं, हमने सच्चा विकास दिया।’’
मोदी ने गरीबों को चार करोड़ पक्के आवास, देश में 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का भी जिक्र किया। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक प्रधानमंत्री बार बार 21वीं सदी की बातें करते थे, लेकिन वो 20वीं सदी की जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाए थे।
प्रधानमंत्री ने कुछ विपक्षी दलों की जातीय जनगणना की मांग की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘कुछ लोगों के लिए जाति की बात करना फैशन बन गया है। आज जातिवाद में मलाई देखने वाले लोगों को पिछले तीस साल में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की इस समाज की मांग याद नहीं आई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में एससी, एसटी और ओबीसी को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलें, उस दिशा में हमने मजबूती से काम किया है।’’