नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने जस्टिस वर्मा की याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने एक याचिका दायर कर अपने घर से मिली नकदी के मामले में उनके खिलाफ हुई कार्रवाई को चुनौती दी थी। गौरतलब है कि उनके नई दिल्ली को लुटियन में स्थित बंगले में पांच पांच सौ के नोटों के बंडल मिले थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक जांच कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है। जस्टिस वर्मा ने इस जांच और इसकी सिफारिश को रद्द करने की मांग की थी।
ध्यान रहे इस रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया है। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने यह रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया है। अब जस्टिस वर्मा के सामने दो रास्ते हैं। अगर वे अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं तो महाभियोग का सामना करने से बच जाएंगे और तब उन्हें रिटायर जज के तौर पर पेंशन भी मिलेगी। अगर जस्टिस वर्मा को महाभियोग के जरिए पद से हटाया जाता है तो उन्हें पेंशन और अन्य लाभ नहीं मिल पाएंगे। जस्टिस वर्मा इस्तीफा देने से इनकार कर चुके हैं।
गौरतलब है कि मानसून सत्र के दौरान लोकसभा के 152 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव पर दस्तखत किए। दूसरी ओर राज्यसभा में भी 50 से ज्यादा सांसदों ने जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया। हालांकि अब तक किसी भी सदन में इस नोटिस को स्वीकार नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकसभा में प्रस्ताव स्वीकार किया जाएगा और जांच के लिए कमेटी बनाई जाएगी।