नई दिल्ली। पांच साल से जेल में बंद उमर खालिद को जमानत नहीं मिली है। दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में उनकी जमानत याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में मंगलवार, दो सितंबर को शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य आरोपियों को बड़ा झटका दिया। अदालत ने 2020 में हुए दिल्ली दंगों से जुड़े यूएपीए केस में सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नौ जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसका ऐलान मंगलवार को किया गया। शरजील इमाम और उमर खालिद के साथ मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अदालत ने सभी की याचिका खारिज कर दी।
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि यह सिर्फ और सिर्फ दंगों का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसा मामला है जहां दंगों की साजिश पहले से ही एक भयावह मकसद और सोची समझी साजिश के साथ बनाई गई थी। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने की एक साजिश थी और केवल लंबी कैद जमानत का आधार नहीं हो सकती।
गौरतलब है कि फरवरी 2020 में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और सात सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह हिंसा नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद भड़की थी। शरजील इमाम, खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं 2022 से हाई कोर्ट में लंबित थी और समय समय पर अलग अलग पीठों ने इन पर सुनवाई की।