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23-06-2025 Vol 19

राज्य का दर्जा नहीं मांगेंगे उमर

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श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में बेकसूर सैलानियों की हत्या से आहत मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वे इस हालात में पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग नहीं करेंगे। पहलगाम हमले के बाद विधानसभा की पहली बैठक में सोमवार उमर भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि उनके पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था उनके जिम्मे नहीं है फिर भी वे आहत हैं कि अपने मेहमानों की हिफाजत नहीं कर सके। राज्य विधानसभा में आतंकवादियों द्वारा चुनिंदा हत्या के खिलाफ बहुत सख्त शब्दों का एक प्रस्ताव पारित किया गया।

जम्मू कश्मीर विधानसभा में सोमवार को पहलगाम हमले में मारे गए सैलानियों को श्रद्धांजलि दी गई। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने भाषण में कहा, ‘इस मौके पर मैं जम्मू कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग नहीं करूंगा। मैं किस मुंह से जम्मू कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर सकता हूं। हम हमेशा पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग करेंगे लेकिन अगर आज मैं ऐसी मांग करूं तो मुझपे लानत है’।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मेजबान होने के नाते मैं सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था। इन लोगों के परिजन से मैं कैसे माफी मांगू। मेरे पास कोई शब्द नहीं है’। उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर की सुरक्षा लोगों की चुनी हुई हुकूमत की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री और टूरिज्म मिनिस्टर होने के नाते मैंने इन्हें बुलाया था। मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि इन्हें सुरक्षित भेंजू, नहीं भेज पाया’। उमर ने भावुक होते हुए कहा, ‘उन बच्चों से क्या कहता, जिन्होंने अपने वालिद को खून में लिपटा हुआ देखा। उस नेवी अफसर की विधवा को क्या कहूं, जिन्हें शादी किए हुए ही चंद दिन हुए थे’।

उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘यकीन नहीं होता कि चंद दिन पहले हम इस सदन में थे और बजट पर कई अन्य मुद्दों पर बहस चली। सदन स्थगित होते होते हम यह उम्मीद कर रहे थे कि श्रीनगर में दोबारा मुलाकात होगी। किसने सोचा था कि जम्मू कश्मीर में ऐसे हालात बनेंगे कि दोबारा यहां मिलना पड़ेगा’। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘स्पीकर साहब आपके आसपास वो लोग बैठे हैं, जिन्होंने खुद अपने रिश्तेदारों को कुर्बान होते देखा है। हम में से कितने ही हैं, जिन पर हमले हुए हैं। हम चाहते हैं कि इस सदन की तरफ से हमले की निंदा की जाए। मारे गए 26 परिवारों के साथ हम हमदर्दी जाहिर कर सकें’।

उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘स्पीकर साहब उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरा देश इस हमले की चपेट में आया है। यह पहला हमला नहीं था। हमने कई हमले होते हुए देखे हैं। हमने अमरनाथ यात्रा, डोडा के गांवों में हमले देखे, कश्मीरी पंडितों की बस्तियों पर हमले देखे, सिख बस्तियों पर हमले देखे’। विधानसभा में पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि ऐसे आतंकी हमले कश्मीरियत, देश की एकता, शांति तथा सद्भावना पर सीधा हमला हैं। विधानसभा ने पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उनके दुख में सहभागी बनने का संकल्प जताया।

NI Desk

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