नई दिल्ली। दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से जुड़े आरोपियों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने पूछा है कि पुलिस ने अभी तक जवाब क्यों नहीं दिया। सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को दिल्ली दंगों की कथित साजिश के मामले में यूएपीए के तहत दर्ज मामले के आरोपियों उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर जवाब दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस को समय देने इनकार किया।
सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। लेकिन जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने दो सप्ताह का समय देने से इनकार कर दिया और कहा कि वह 31 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगी।
अदालत ने कहा, ‘हम आपको पर्याप्त समय दे चुके हैं। पिछली बार नोटिस जारी करते समय हमने कहा था कि हम इस मामले की सुनवाई 27 अक्टूबर को करेंगे और इसका निपटारा करेंगे’। पीठ ने कहा, ‘सच कहें तो, जमानत के मामलों में जवाब दाखिल करने का सवाल ही नहीं उठता’। उमर खालिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता पांच साल से अधिक समय से जेल में हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पूरा मामला मुकदमे में देरी का है और सुनवाई में और देरी नहीं होनी चाहिए।
इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने 22 सितंबर को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इन आरोपियों ने दो सितंबर को आए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने खालिद और इमाम समेत नौ लोगों को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में साजिशी तरीके से हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। गौरतलब है कि 2020 में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे।


