नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना यानी मनरेगा को समाप्त करके ग्रामीण रोजगार की नई योजना लाने के लिए केंद्र सरकार ने विकसित भारत जी राम जी बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में बिल पेश किया और कहा कि विकसित भारत की जरुरतों के हिसाब से गांवों में रोजगार के अवसर बनेंगे। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों ने बिल का जम कर विरोध किया और अलग अलग तरह से संसद में प्रदर्शन किया। अनेक सांसद पुरानी संसद भवन की छत पर चढ़ गए और वहां से प्रदर्शन किया।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस बिल को लेकर मंगलवार को कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को खत्म करने की कोशिश महात्मा गांधी के विचारों का सीधा अपमान है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में आरोप लगाते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी के विचारों और गरीबों के अधिकारों से समस्या है।
राहुल ने लिखा, “पिछले 10 सालों से मोदी सरकार मनरेगा को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और अब इसे पूरी तरह खत्म करने का इरादा है। ‘वीबी-जी राम जी’ बिल गरीब ग्रामीण परिवारों की आजीविका पर हमला है। कांग्रेस सड़क से लेकर संसद तक इस जनविरोधी बिल का विरोध करेगी”। गौरतलब है कि केंद्र सरकार मनरेगा को खत्म करके कर उसकी जगह ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी ‘विकसित भारत-जी राम जी’ स्कीम ला रही है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को बिल लोकसभा में पेश किया। उनके बिल पेश करते ही कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, ‘हम इस बिल का विरोध करते हैं। सरकार को हर योजना का नाम बदलने की सनक है। सरकार की यह सनक समझ नहीं आती है’। यह बिल पास हो जाता है तो नया कानून मनरेगा की जगह लेगा। इस बिल में कहा गया है कि इसका मकसद ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय विजन के मुताबिक ग्रामीण विकास का नया ढांचा तैयार करना है। इसमें काम के दिनों की संख्या एक सौ से बढ़ा कर 125 दिन कर दी जाएगी।
पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार का समर्थन कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने कहा, ‘महात्मा गांधी का नाम बदलना सही नहीं है। महात्मा गांधी का नाम राज्य का विजन पॉलिटिकल नहीं सामाजिक विकास का था। उनका नाम ही हटाना गलत है। राम का नाम बदनाम ना करो’। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘नाम बदलने से कोई बहुत बड़ा काम नहीं होगा। नई स्कीम के तहत बजट का बोझ राज्यों पर डाला जाएगा। इससे मुख्यमंत्रियों, राज्य सरकारों के सामने संकट पैदा होगा। केंद्र अपना बोझ कम कर रहा है’।


