नई दिल्ली। बजट सत्र के दूसरे चरण के तीसरे हफ्ते के पहले दिन सोमवार को पहली बार ऐसा हुआ कि सत्तापक्ष के विरोध और हंगामे की वजह से संसद की कार्यवाही नहीं चली। सोमवार को सत्तापक्ष ने कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के एक कथित बयान का मुद्दा उठाया और उनको बरखास्त करने की मांग की। कांग्रेस ने इसका विरोध किया और बाद में जयराम रमेश ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस दिया। उन्होंने कहा कि शिवकुमार के बयान पर गलत जानकारी देकर रिजीजू ने सदन को गुमराह किया।
इससे पहले शिवकुमार के कथित बयान की वजह से उच्च सदन में कामकाज नहीं हुआ। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्तापक्ष की ओर से शिवकुमार के बयान का मुद्दा उठाया गया। इस पर विवाद हुआ तो पहले सदन दो बजे तक स्थगित की गई। दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर फिर हंगामा हुआ, तो राज्यसभा पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। कहा जा रहा है कि कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने 23 मार्च को कर्नाटक के एक कार्यक्रम में मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर कहा था कि संविधान बदल देंगे।
सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान का अपमान किया है’। जवाब में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘बाबा साहेब के संविधान को कोई नहीं बदल सकता। आरक्षण को कोई खत्म नहीं कर सकता। इसकी रक्षा के लिए हमने भारत जोड़ो यात्रा की। आप भारत तोड़ रहे हैं’। मामला बढ़ने पर कर्नाटक के शिवकुमार ने कहा, ‘मैंने संविधान बदलने की बात नहीं कही। ये लोग गलत बातें फैला रहे हैं। हमारी राष्ट्रीय पार्टी है’।
उधर लोकसभा में सुबह हंगामा हुआ लेकिन बाद में सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चली। सोमवार को लोकसभा में भी भाजपा ने मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया। समाजवादी पार्टी के सांसद पोस्टर लेकर सदन में आए। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने आपत्ति जताई और सदन 12 बजे तक स्थगित कर दिया। 12 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर रिजीजू ने कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री को बरखास्त करने की मांग की। इस पर हंगामा हुआ और सदन दो बजे तक स्थगित कर दी गई। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर 2025 के बजट पर चर्चा शुरू हुई।