नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर को लेकर दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की और कहा कि बिहार में हुए एसआईआर को लेकर उसका जो भी फैसला होगा वह पूरे देश में होने वाले एसआईआर पर लागू होगा। गौरतलब है कि चुनाव आय़ोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि एसआईआर पर अदालत उसे निर्देश न दे। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह भी कहा कि अगर बिहार के एसआईआर में गड़बड़ी मिली तो वह पूरी प्रक्रिया को रद्द कर देगा। अदालत ने भरोसा दिलाया कि यह काम उसकी निगरानी में हो रहा है इसलिए किसी भी गड़बड़ी को ठीक किया जाएगा।
इससे पहले सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि चुनाव आयोग प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है। यह भी कहा गया कि नियमों की अनदेखी हो रही है और सिर्फ उतना ही किया जा रहा है, जितना सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा जा रहा है। इस पर अदालत ने कहा, ‘हम यह मानकर चलेंगे कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारियों को जानता है। अगर कोई गड़बड़ी हो रही है, तो हम इसको देखेंगे। अगर बिहार में एसआईआर के दौरान चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में कोई अवैधता पाई जाती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है’।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि बिहार में हुए एसआईआर पर अदालत टुकड़ों में राय नहीं दे सकती। उसका अंतिम फैसला सिर्फ बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में एसआईआर पर लागू होगा। मामले पर सात अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान एडीआर की ओर से पेश हुए प्रशांत भूषण ने कहा, ‘चुनाव आयोग अपनी ही प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन हो रहा है। मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की सभी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए’।
एक अन्य याचिकाकर्ता की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘सिर्फ 30 फीसदी आपत्तियों और दावों की एंट्री अपडेट की गई है’। पूरे देश में एसआईआर कराने के लिए याचिका दायर करने व ले अश्विनी उपाध्याय ने कहा, ‘आधार न तो नागरिकता का प्रमाण है और न ही पहचान का अंतिम दस्तावेज, इसे अन्य 11 दस्तावेजों के बराबर नहीं माना जा सकता’। दूसरी ओर चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहा है और सभी आपत्तियों पर सुनवाई हो रही है। हर नाम, जोड़ने या हटाने का विवरण सार्वजनिक करने से लोगों की प्राइवेसी प्रभावित होगी’।


