नई दिल्ली। उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में होने वाली देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस मामले में चुनिंदा नजरिए अपनाना बंद करे। जजों की नियुक्ति पर मंगलवार को हुई सुनवाई में जस्टिस संजय किशन कौल ने नाराजगी जताते हुए कि योग्य वकीलों को जज बनाने की सिफारिश हमने बंद कर दी क्योंकि सरकार उनके नाम क्लियर नहीं करती। तो वो कब तक अपनी प्रैक्टिस रोक कर रखें?
जस्टिस कौल ने कहा कि जजों के तबादले की भी सूची लंबी है, उसमें 15 नाम अब भी लंबित हैं। सरकार नियुक्ति और तबादलों में भी अपनी पसंद से चुन-चुनकर फैसले लेती है, ये सेलेक्टिव एप्रोच उचित नहीं है। दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि दस दिन दीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमें उम्मीद है कि स्थिति ऐसी न हो कि कॉलेजियम या ये अदालत कोई ऐसा फैसला करे, जो स्वीकार्य न हो। अब इस मामले में 20 नवंबर को अगली सुनवाई होगी।
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि तीन-तीन चार-चार साल से नाम लंबित हैं। आप विधि सचिव को अदालत में तलब कीजिए। उनसे जवाब लीजिए, वरना समस्या का हल नहीं निकलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कानून मंत्री को अदालत में बुलाया जाए। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने सरकार को लक्ष्य करके कहा- आप कॉलेजियम की सिफारिशों को हल्के में ले रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि हमें सख्त कदम उठाने पड़ें, फिर आपके लिए असहज स्थिति हो सकती है। तब आपको शायद अच्छा न लगे।