नई दिल्ली। जर्मनी के बाद अब अमेरिका ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मुद्दा उठाया है। अमेरिका ने कहा है कि उसने बहुत करीब से केजरीवाल के मसले पर नजर रखी है। साथ ही उसने यह भी उम्मीद जताई कि पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया से उनके मामले की सुनवाई होगी। गौरतलब है कि इससे पहले जर्मनी ने भी यही बात कही थी, जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
गौरतलब है कि केजरीवाल को दिल्ली की नई शराब नीति में हुए कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। वे 28 मार्च तक केंद्रीय एजेंसी ईडी की हिरासत में हैं।
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद पूरी दुनिया के मीडिया में इसकी चर्चा हुई और इसे लेकर खबरें छपीं। अमेरिका, यूरोपीय देशों और ब्रिटेन के अखबारों ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को लोकतंत्र प हमला करार दिया और कहा कि विपक्ष को दबाया जा रहा है। बहरहाल, केजरीवाल की गिरफ्तारी के पांच दिन के बाद अमेरिका ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि इस पूरे मामले पर वह भी नजर बनाए हुए है।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है- हम निष्पक्ष, समयबद्ध और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया के लिए भारत की सरकार को प्रोत्साहित करते हैं। इससे पहले अमेरिका ने नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर भी बयान दिया था, जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि अमेरिका को भारत के इतिहास और यहां की परंपराओं की जानकारी नहीं है।
बहरहाल, अब केजरीवाल के मामले में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक न्यूज एजेंसी के सवाल पर कहा- अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर हमारी करीबी नजर है। हम मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं।
इससे पहले जर्मनी की सरकार ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले में टिप्पणी की थी, जिसका भारत ने तीखा जवाब दिया था। भारत ने जर्मनी के दूतावास के नंबर दो राजनयिक को तलब किया था। जर्मनी ने केजरीवाल के लिए कहा था कि वह आरोपों का सामना कर रहे किसी भी अन्य भारतीय नागरिक की तरह, निष्पक्ष और निष्पक्ष सुनवाई के हकदार थे।
इसके बाद जर्मन दूतावास के डिप्टी चीफ जॉर्ज एनजवीलर को विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने तलब किया और बताया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन विदेश मंत्रालय की टिप्पणी भारत की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है।
जर्मनी की टिप्पणी के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था- नई दिल्ली में जर्मनी के दूतावास के डिप्टी चीफ को तलब किया गया और हमारे आंतरिक मामलों पर उनके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणी पर भारत के कड़े विरोध के बारे में बताया गया।