मुंबई। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे नजदीक आ गए हैं और भाषा के सवाल पर साझा रैली करने जा रहे हैं। पहली कक्षा से ही हिंदी भाषा को स्कूलों में शामिल करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ उद्धव और राज ठाकरे पांच जुलाई को मुंबई में साझा रैली करेंगे। इससे पहले उद्धव ने छह जुलाई को और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने सात जुलाई को रैली निकालने का ऐलान किया था।
एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने इस मुद्दे पर उद्धव व राज ठाकरे को समर्थन दिया है। पवार ने कहा, ‘महाराष्ट्र में कक्षा एक से हिंदी अनिवार्य नहीं की जानी चाहिए। अगर कोई नई भाषा शुरू की जानी है तो उसे कक्षा पांच के बाद ही शुरू किया जाना चाहिए’। यही बात एनसीपी के नेता और राज्य सरकार के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने भी कही है। हालांकि शरद पवार ने रैली में शामिल होने के सवाल पर कहा कि वे पहले उद्धव और राज ठाकरे की योजना को समझेंगे।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस साल अप्रैल में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया था। विरोध के बाद उन्होंने फैसले में बदलाव किया और कहा कि कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ने वाले छात्र तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि महायुति सरकार का फैसला राज्य में ‘लैंग्वेज इमरजेंसी’ घोषित करने जैसा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी के भाषा के रूप में विरोध नहीं करती, लेकिन महाराष्ट्र में इसे थोपने के खिलाफ है। उद्धव ने आगे कहा कि उनकी पार्टी सरकार के फैसले के खिलाफ अपना विरोध तब तक जारी रखेगी, जब तक कि इसे वापस नहीं ले लिया जाता।