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01-05-2025 Vol 19

उत्तराखंड में समान नागरिक कानून लागू

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देहरादून। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू करने वाला देश का पहले राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास पर स्थित मुख्य सेवक सदन में संहिता की नियमावली व वेब पोर्टल ‘यूसीसी.यूके.जीओवी.आईएन’ का लोकार्पण किया। इसके साथ ही कानून लागू करने का ऐलान किया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर बिल तैयार किया गया था, जिसे विधानसभा से पास कराया गया। पिछले दिनों सरकार ने इस कानून को लागू करने के नियम जारी किए थे।

समान नागरिक संहिता लागू करने के साथ ही उत्तराखंड इसे लागू करने वाला आजाद भारत का पहला राज्य बन गया। उत्तराखंड सरकार ने सभी नागरिकों को समान अधिकार देने के मकसद से यह कानून बनाया है। सात फरवरी 2024 को विधानसभा ने इससे संबंधित विधेयक पारित किया। 12 मार्च को इसे राष्ट्रपति से मंजूरी प्राप्त हुई। फिर 14 मार्च को सरकार ने समान नागरिक संहिता को लागू करने से पहली इसकी नियमावली बनाने का फैसला किया। लगभग एक साल तक चली कसरत के बाद नियमावली तैयार की गई।

इसके बाद इसे लागू करने के लिए सरकारी कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। संहिता के प्रावधानों के मुताबिक विभिन्न विषयों का पंजीकरण कराने के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया गया है। अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, पूरे उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर यह कानून लागू होगा। बताया गया है कि यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत व नगरपालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।

उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसकी तारीफ की और कहा, ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार, राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। आज हम सभी बहुत खुश हैं। संविधान के 75 साल पूरे होने के ठीक बाद देवभूमि उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता को अपना लिया। एक राज्य ने ऐसा किया। मैं सरकार की दूरदर्शिता को बधाई देता हूं’। उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘अपने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करके उन्होंने संविधान निर्माताओं के दृष्टिकोण को साकार किया। मुझे यकीन है कि यह समय की बात है और एक दिन पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू होगा’।

NI Desk

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