nayaindia Lok Sabha election 2024 BJP भाजपा जीती तो क्या कयामत आएगी?

भाजपा जीती तो क्या कयामत आएगी?

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अगर राहुल गांधी और कांग्रेस व दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बातों पर यकीन करें तो ऐसा ही होगा। उनके हिसाब से भाजपा लगातार तीसरी बार जीती और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश में कयामत आ जाएगी। सब कुछ समाप्त हो जाएगा। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का बनाया संविधान बदल दिया जाएगा या बकौल राहुल गांधी उसको फाड़ कर फेंक दिया जाएगा। लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा। देश में फिर कोई चुनाव नहीं होगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जातियों को मिलने वाला आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा।

ध्यान रहे कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने न्याय पत्र, परिवर्तन पत्र और अन्य नामों से घोषणापत्र जारी किया है लेकिन उसमें कही गई बातों की बजाय इन पार्टियों का प्रचार यह भय दिखाने पर केंद्रित है कि तीसरी बार भाजपा जीती तो क्या क्या होगा। जैसे भाजपा भय दिखा रही है कि कांग्रेस आएगी तो क्या होगा वैसे ही कांग्रेस और पूरा विपक्षी गठबंधन भय दिखा रहा है कि भाजपा आई तो क्या होगा। सो, विपक्षी पार्टियों की नजर में भाजपा अगले पांच साल जो कुछ करेगी उसकी सूची इस प्रकार है-

पहला, भाजपा सत्ता में आई तो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का बनाया संविधान बदल देगी। यह एक अमूर्त सी बात है क्योंकि विपक्षी पार्टियां यह नहीं बता रही हैं कि संविधान में कुछ चीजें बदली जाएंगी या पूरा संविधान ही बदल कर नया संविधान बनाया जाएगा। लेकिन अब बात यहां तक पहुंच गई है कि राहुल गांधी संविधान की एक प्रति हाथ में लेकर चुनावी सभाओं में जा रहे हैं और लोगों को दिखा कर कह रहे हैं कि भाजपा तीसरी बार जीती तो इस किताब को बदल देगी। उन्होंने एक सभा में यह भी कहा कि भाजपा संविधान को फाड़ कर फेंक देगी। दूसरी ओर इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि मोदी की क्या बिसात है, अब अगर बाबा साहेब खुद आ जाएं तब भी वे संविधान को नहीं बदल सकते हैं।

वैसे संविधान बदलने की बात करने वाले कर्नाटक भाजपा के नेता अनंत हेगड़े को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। भाजपा के घोषणापत्र में या किसी नेता के बयान में ऐसी कोई बात नहीं है कि वह संविधान बदलने का इरादा रखती है। लेकिन कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने संविधान बदलने के खतरे को काफी हद तक वास्तविक बना दिया है। एससी, एसटी और ओबीसी समूहों में इसकी चर्चा हो रही है और इसी वजह से भाजपा इसे लेकर चिंता में है। संविधान बदलने की जो चिंता जताई जाती है उसमें कहा जाता है कि प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाए जा सकते हैं। इन्हें इमरजेंसी के समय 1976 में किए 42 वें संविधान संशोधन के जरिए प्रस्तावना में जोड़ा गया था।

दूसरा, भाजपा लगातार तीसरी बार जीती तो आरक्षण समाप्त कर देगी। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि भाजपा जीती तो वह एससी, एसटी और ओबीसी को मिल रहा आरक्षण खत्म कर देगी। विपक्ष के यह कहने का आधार यह है कि कोई 10 साल पहले एक बार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए। इसके अलावा हाल ही में कांग्रेस छोड़ कर गए एक नेता प्रमोद कृष्णम का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे आरक्षण खत्म करने की बात कर रहे हैं। इसी को आधार बना कर राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने भाजपा पर हमला तेज कर दिया है।

दूसरी ओर भाजपा का दावा है कि उसके रहते आरक्षण को कोई हाथ भी नहीं लगा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यह बात कह रहे हैं और दूसरे नेता मोदी की गारंटी दे रहे हैं कि भाजपा के रहते आरक्षण कभी भी खत्म नहीं होगा। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी सामने आकर आरक्षण की जरुरत बताई है। उन्होंने कहा कि जब तक इसकी जरुरत है तब तक आरक्षण बना रहेगा। अगर भाजपा की मौजूदा सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो नरेंद्र मोदी ने 10 फीसदी आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दिया है। यानी उन्होंने पहले ही आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर कर दी है। इतना ही नहीं उन्होंने केंद्र सरकार के मेडिकल कोटे में ओबीसी को आरक्षण दिया है और नवोदय विद्यालयों आदि में भी आरक्षण लागू किया है।

तीसरा, विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि भाजपा अगर फिर जीतती है तो उसके बाद चुनाव नहीं होगा। यानी यह आखिरी चुनाव है। यह बात राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे तक कह रहे हैं। सवाल है कि अगर लगातार तीसरी बार मोदी चुनाव जीतते हैं तो फिर चुनाव क्यों नहीं होगा? उनकी सरकार तो पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट भी आ गई है और उसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। एक मतदाता सूची बना कर सारे चुनाव एक साथ कराने की बात हो रही है। यह भय दिखाना अपने आप में हैरान करने वाला है कि लगातार चुनाव जीत रहा व्यक्ति चुनाव नहीं कराएगा।

मोदी अगर तीसरी बार भी प्रधानमंत्री बनते हैं तो निश्चित रूप से चुनाव कराएंगे क्योंकि चुनाव से उनको वैधता मिलती है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुने हुए नेता के नाते पूरे विश्व में सम्मान मिलता है। किसी भी रूप की तानाशाही वाले थोड़े से देशों को छोड़ दें तो फ्री वर्ल्ड में लोकतांत्रिक नेताओं को सर्वाधिक सम्मान मिलता है। इसलिए भारत में चुनाव होता रहेगा। चुनाव कैसे होगा और उसमें क्या क्या हो सकता है यह सब अंदाजा लगाने का विषय है।

चौथा, लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां यह भय दिखा रही हैं कि अगर भाजपा लगातार तीसरी बार जीती तो देश में लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा। सवाल है कि लोकतंत्र कैसे समाप्त हो जाएगा? क्या लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा तो देश में तानाशाही स्थापित हो जाएगी? ध्यान रहे कोई भी देश लोकतांत्रिक बनता है चुनाव की प्रक्रिया से सरकार के गठन, संविधान के मुताबिक शासन-प्रशासन के संचालन और अपनी संस्थाओं की स्वायत्तता से। अभी चुनाव के जरिए अगर नरेंद्र मोदी की सरकार फिर से बन जाती है और मौजूदा संविधान को सामने रख कर ही वे जैसे चाहें वैसे सरकार चला पाते हैं और संस्थाएं उनके हिसाब से काम करती हैं तो इन सबको खत्म करके तानाशाही स्थापित करने की भी क्या जरुरत है?

अगर संसद, संविधान और संस्थाएं किसी चुनी हुई सरकार के रास्ते की बाधा बनतीं तब तो इन्हें खत्म करने की जरुरत होती। लेकिन हकीकत यह है कि भारत में कभी भी संसद, संविधान या संस्थाएं सरकार के रास्ते में बाधा नहीं बनती हैं। इसलिए लोकतंत्र खत्म हो जाने का भय दिखाने का भी कोई ठोस आधार नहीं है। लेकिन ये बातें लोगों को उद्वेलित कर रही हैं विपक्ष संविधान, लोकतंत्र और आरक्षण बचाने के लिए चुनाव लड़ रहा है।

By अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

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