nayaindia electoral bonds एजेंसियों के छापों से बॉन्ड वसूली

एजेंसियों के छापों से बॉन्ड वसूली

अभी जब तक यह पता नहीं चलता है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है तब तक इसे संयोग ही मानें कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली पांच सबसे बड़ी कंपनियों में से तीन के यहां प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ने छापा मारा था। इस बात को थोड़ा और विस्तार दें तो एक आंकड़ा यह है कि 12 अप्रैल 2019 से लेकर 24 जनवरी 2024 तक यानी करीब पांच साल में जिन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीदा है उनमें से 30 सबसे बड़ी कंपनियां ऐसी हैं, जिनमें से 14 के यहां किसी न किसी केंद्रीय एजेंसियों का छापा पड़ा है या कार्रवाई शुरू हुई है। electoral bonds

यह भी पढ़ें: अंबानी-अडानी, खरबपतियों का चंदा कहां?

यह भी संयोग है कि कुछ कंपनियों को बड़े सरकारी ठेके मिले उससे ठीक पहले या ठीक बाद उन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदे। सो, जब तक सारे आंकड़े नहीं आते हैं और जब तक बॉन्ड के यूनिक कोड से मिलान नहीं हो जाता है कि किसका खरीदा बॉन्ड किसको मिला तब तक इसे संयोग मानें। लेकिन उन आंकड़ों के बगैर यह तो हकीकत है कि सबसे 50 फीसदी से ज्यादा चंदा भाजपा को मिला है तो केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के दायरे में आईं कंपनियों का भी ज्यादा चंदा उसी के खाते में गया होगा। electoral bonds

बहरहाल, सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड लॉटरी किंग के नाम से मशहूर सैंटियागो मार्टिक की कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने खरीदी हैं। कंपनी ने 27 अक्टूबर 2020 से पांच अक्टूबर 2023 तक यानी तीन साल में 1,368 करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा है। इस बीच 2022 में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की थी और धन शोधन के  मामले में उसकी 409 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी।

इसी तरह सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदने वाली दूसरी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है, इसने 966 करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा है। इस कंपनी के ऊपर अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने छापा मारा था। इसके बारे में एक रिपोर्ट यह भी है कि कंपनी ने महाराष्ट्र में ठाणे-बोरीवली टनल रोड का 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा ठेका मिलने से एक महीने पहले 140 करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा था। electoral bonds

यह भी पढ़ें: चंदा सत्ता की पार्टी को ही!

ऐसे ही तीसरी बड़ी कंपनी है वेदांता लिमिटेड। इस ग्रुप की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड, के ऊपर अगस्त 2022 में धन शोधन के एक मामले में ईडी ने छापा मारा था। इस समूह ने कुल मिला कर चार सौ करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा है। चौथी बड़ी कंपनी हल्दिया एनर्जी लिमिटेड। इस कंपनी ने 377 करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा था। इसके खिलाफ मार्च 2020 में सीबीआई ने कार्रवाई की थी। इसी तरह हैदराबाद की कंपनी यशोदा सुपर हॉस्पिटल के ऊपर दिसंबर 2022 में आयकर का छापा पड़ा था। electoral bonds

यह भी पढ़ें: पूरा हिसाब अभी बाकी है

हालांकि कंपनी ने इससे एक साल पहले ही अक्टूबर 2021 में 162 करोड़ रुपए का बॉन्ड खरीदा था। डीएलएफ कॉमर्शियल डेवेलपर्स लिमिटेड के यहां जनवरी 2019 में सीबीआई ने और नवंबर 2023 में ईडी ने छापा मारा था। इस कंपनी ने 130 रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा है। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने 123 करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा है। इस कंपनी के ऊपर अप्रैल 2022 में ईडी ने कार्रवाई की थी। electoral bonds

इस तरह के कई पैटर्न आंकड़ों का विश्लेषण करने पर मिल रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया है कि नवंबर 2022 में एक ही दिन अनेक बड़ी दवा कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीदे थे। उनके बॉन्ड किसको गए और एक ही दिन खरीद का क्या राज था, यह भी कुछ समय के बाद ही पता चलेगा।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें