electoral bonds

  • चुनावी बॉन्ड पर क्यों आक्रामक?

    राजनीतिक चंदे के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड की योजना को सुप्रीम कोर्ट ने जब अवैध घोषित किया और उस पर रोक लगाई तब से भारतीय जनता पार्टी सदमे में है और बैकफुट पर भी है। पार्टी के नेताओं को समझ में नहीं आया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कैसे आलोचना करें और चुनावी बॉन्ड की योजना का कैसे बचाव करें। इसका नतीजा यह हुआ कि विपक्ष को इसे भ्रष्टाचार बताने का मौका मिल गया। सभी विपक्षी पार्टियों ने चुनाव में इसे मुद्दा बनाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का तो जाति गणना और आरक्षण के...

  • चुनावी बॉन्ड में आगे क्या होगा?

    क्या चुनावी बॉन्ड का कानूनी मामला सुलझ गया? सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध घोषित कर दिया और इस पर रोक लगा दी तो आगे क्या? एक बड़ा वर्ग है, जो मान रहा है कि कानूनी पक्ष निपट गया है और राजनीतिक फैसला आने वाला है। यानी लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाया है और देखना है कि देश की जनता इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। अगर इस बार के चुनाव में भाजपा को फिर से जीत मिलती है तो इसका मतलब होगा की देश की जनता ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया। जनता ने...

  • चुनावी बॉन्ड पर मोदी का कमाल का तर्क

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी बॉन्ड का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि इसे राजनीति में काला धन रोकने के लिए लाया गया था। हालांकि इसके जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे पता चला है कि कितनी ही कंपनियां सिर्फ बॉन्ड खरीद कर चंदा देने के लिए बनीं। तीन साल से कम पुरानी कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन करके चंदा दिया। कई कंपनियों ने अपने मुनाफे के सौ गुना तक चंदा दिया। कई घाटे में चल रही कंपनियों ने भी मोटा चंदा दिया। यह भी खबर आई कि कई सौ करोड़ के बॉन्ड किसने खरीदे यह पता ही नहीं...

  • चुनावी बॉन्ड की नई कहानी

    राजनीतिक दलों के चंदा देने के लिए बनाई गई चुनानी बॉन्ड की योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और सर्वोच्च अदालत के आदेश से इसका सारा डाटा भी सामने आ गया है। अब अलग अलग मीडिया समूह चुनाव बॉन्ड के ब्योरे का विश्लेषण कर रहे हैं और हर दिन नई कहानी सामने आ रही है। ताजा कहानी ऐसी कंपनियों के बॉन्ड खरीदने की है, जो कानूनी रूप से बॉन्ड खरीद ही नहीं सकती हैं। नियम के मुताबिक तीन साल से कम पुरानी कंपनी बॉन्ड नहीं खरीद सकती है। अगर वह बॉन्ड खरीदती है तो उसके खिलाफ कानूनी...

  • बॉन्ड और ईवीएम पर विपक्ष का दोहरा रवैया

    यह कमाल की बात है कि विपक्षी पार्टियां कई चीजों का मुहंजबानी विरोध करती हैं, उसके खिलाफ अभियान भी चलाती हैं लेकिन उसे लेकर दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाती हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कम से कम दो मामलों में यह साफ दिख रहा है। चुनावी चंदे के लिए इस्तेमाल हुए चुनावी बॉन्ड और लोकसभा व चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के इस्तेमाल का मामला ऐसा है, जिस पर विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध तो जताया लेकिन इनके प्रतिरोध में कोई दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाया। इसका नतीजा यह हुआ है कि विपक्षी पार्टियों...

  • पारदर्शिता से क्यों परहेज?

    यह कमाल की बात है कि विपक्षी पार्टियां कई चीजों का मुहंजबानी विरोध करती हैं, उसके खिलाफ अभियान भी चलाती हैं लेकिन उसे लेकर दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाती हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कम से कम दो मामलों में यह साफ दिख रहा है। चुनावी चंदे के लिए इस्तेमाल हुए चुनावी बॉन्ड और लोकसभा व चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के इस्तेमाल का मामला ऐसा है, जिस पर विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध तो जताया लेकिन इनके प्रतिरोध में कोई दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाया। इसका नतीजा यह हुआ है कि विपक्षी पार्टियों...

  • उद्योग समूह देर से सक्रिय हुए

    यह कमाल की बात है कि विपक्षी पार्टियां कई चीजों का मुहंजबानी विरोध करती हैं, उसके खिलाफ अभियान भी चलाती हैं लेकिन उसे लेकर दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाती हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कम से कम दो मामलों में यह साफ दिख रहा है। चुनावी चंदे के लिए इस्तेमाल हुए चुनावी बॉन्ड और लोकसभा व चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के इस्तेमाल का मामला ऐसा है, जिस पर विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध तो जताया लेकिन इनके प्रतिरोध में कोई दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाया। इसका नतीजा यह हुआ है कि विपक्षी पार्टियों...

  • बॉन्ड्स के नंबर 21 मार्च तक दें

    यह कमाल की बात है कि विपक्षी पार्टियां कई चीजों का मुहंजबानी विरोध करती हैं, उसके खिलाफ अभियान भी चलाती हैं लेकिन उसे लेकर दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाती हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कम से कम दो मामलों में यह साफ दिख रहा है। चुनावी चंदे के लिए इस्तेमाल हुए चुनावी बॉन्ड और लोकसभा व चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के इस्तेमाल का मामला ऐसा है, जिस पर विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध तो जताया लेकिन इनके प्रतिरोध में कोई दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाया। इसका नतीजा यह हुआ है कि विपक्षी पार्टियों...

  • चुनावी बॉन्ड से आगे क्या रास्ता?

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  • बॉन्ड्स को लेकर कांग्रेस का बड़ा हमला

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  • चुनावी बॉन्ड का नया ब्योरा

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  • चुनावी बॉन्ड/भारत का चरित्र

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  • पूरा हिसाब अभी बाकी है

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  • एजेंसियों के छापों से बॉन्ड वसूली

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  • आयोग ने जारी किया चुनावी बॉन्ड का ब्योरा

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  • चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा

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  • चुनावी बॉन्ड का खुलासा कल

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  • कितना कुछ जाहिर होगा?

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  • चुनावी बॉन्ड के मामले में अब 11 मार्च को सुनवाई

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  • असली सवाल भारतीय स्टेट बैंक पर है

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