electoral bonds

  • तो सभी विपक्षी पार्टियां आरोपी?

    केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने केरल में धन शोधन से जुड़े एक मामले में सत्तारूढ़ सीपीएम के नेताओं के साथ साथ पार्टी को भी आरोपी बनाया है। ईडी ने पिछले दिनों कोच्चि की एक विशेष अदालत में 2021 के करुवन्नूर कोऑपरेटिव बैंक धन शोधन मामले में एक आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें सीपीएम को औरर साथ ही पार्टी के आठ नेताओं को आरोपी बनाया गया है। आरोपी बनाए गए नेताओं में लोकसभा सांसद के राधाकृष्णन, पूर्व राज्य मंत्री एसी मोइदीन और त्रिशूर के पूर्व जिला सचिव एमएम वर्गीज जैसे नेता शामिल हैं। इस मामले की जांच पहले राज्य...

  • चुनावी बॉन्ड की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

    नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत के चीफ जस्टिस की बेंच ने इसे खारिज किया। पुराने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को मिले 16,518 करोड़ रुपए का चंदा जब्त करने की मांग को खारिज किया था। उसी की समीक्षा के लिए खेम सिंह भाटी की ओर से याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी समीक्षा याचिका खारिज की चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच...

  • चुनावी बॉन्ड पर क्यों आक्रामक?

    राजनीतिक चंदे के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड की योजना को सुप्रीम कोर्ट ने जब अवैध घोषित किया और उस पर रोक लगाई तब से भारतीय जनता पार्टी सदमे में है और बैकफुट पर भी है। पार्टी के नेताओं को समझ में नहीं आया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कैसे आलोचना करें और चुनावी बॉन्ड की योजना का कैसे बचाव करें। इसका नतीजा यह हुआ कि विपक्ष को इसे भ्रष्टाचार बताने का मौका मिल गया। सभी विपक्षी पार्टियों ने चुनाव में इसे मुद्दा बनाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का तो जाति गणना और आरक्षण के...

  • चुनावी बॉन्ड में आगे क्या होगा?

    क्या चुनावी बॉन्ड का कानूनी मामला सुलझ गया? सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध घोषित कर दिया और इस पर रोक लगा दी तो आगे क्या? एक बड़ा वर्ग है, जो मान रहा है कि कानूनी पक्ष निपट गया है और राजनीतिक फैसला आने वाला है। यानी लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाया है और देखना है कि देश की जनता इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। अगर इस बार के चुनाव में भाजपा को फिर से जीत मिलती है तो इसका मतलब होगा की देश की जनता ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया। जनता ने...

  • चुनावी बॉन्ड पर मोदी का कमाल का तर्क

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी बॉन्ड का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि इसे राजनीति में काला धन रोकने के लिए लाया गया था। हालांकि इसके जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे पता चला है कि कितनी ही कंपनियां सिर्फ बॉन्ड खरीद कर चंदा देने के लिए बनीं। तीन साल से कम पुरानी कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन करके चंदा दिया। कई कंपनियों ने अपने मुनाफे के सौ गुना तक चंदा दिया। कई घाटे में चल रही कंपनियों ने भी मोटा चंदा दिया। यह भी खबर आई कि कई सौ करोड़ के बॉन्ड किसने खरीदे यह पता ही नहीं...

  • चुनावी बॉन्ड की नई कहानी

    राजनीतिक दलों के चंदा देने के लिए बनाई गई चुनानी बॉन्ड की योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और सर्वोच्च अदालत के आदेश से इसका सारा डाटा भी सामने आ गया है। अब अलग अलग मीडिया समूह चुनाव बॉन्ड के ब्योरे का विश्लेषण कर रहे हैं और हर दिन नई कहानी सामने आ रही है। ताजा कहानी ऐसी कंपनियों के बॉन्ड खरीदने की है, जो कानूनी रूप से बॉन्ड खरीद ही नहीं सकती हैं। नियम के मुताबिक तीन साल से कम पुरानी कंपनी बॉन्ड नहीं खरीद सकती है। अगर वह बॉन्ड खरीदती है तो उसके खिलाफ कानूनी...

  • बॉन्ड और ईवीएम पर विपक्ष का दोहरा रवैया

    यह कमाल की बात है कि विपक्षी पार्टियां कई चीजों का मुहंजबानी विरोध करती हैं, उसके खिलाफ अभियान भी चलाती हैं लेकिन उसे लेकर दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाती हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कम से कम दो मामलों में यह साफ दिख रहा है। चुनावी चंदे के लिए इस्तेमाल हुए चुनावी बॉन्ड और लोकसभा व चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के इस्तेमाल का मामला ऐसा है, जिस पर विपक्षी पार्टियों ने अपना विरोध तो जताया लेकिन इनके प्रतिरोध में कोई दृढ़ नैतिक बल नहीं दिखाया। इसका नतीजा यह हुआ है कि विपक्षी पार्टियों...

  • पारदर्शिता से क्यों परहेज?

    इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स की सामने आती सच्चाई के साथ भारत में राजनीतिक चंदे की लगातार अपारदर्शी होती गई परिघटना के साथ-साथ राजनीति पर कॉरपोरेट घरानों के कसते गए शिकंजे का भी परदाफाश हो रहा है। जाहिर है, उससे उद्योगपति असहज हैं। electoral bonds supreme court उद्योगपतियों के बड़े संगठन यह गुहार लगाने सुप्रीम कोर्ट गए कि वह इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स के नंबर सार्वजनिक करने का आदेश भारतीय स्टेट बैंक को ना दे। चूंकि फिक्की, सीआईआई और एसोचैम बिना जरूरी प्रक्रियाएं पूरी किए अर्जी लेकर अदालत पहुंच गए थे, इसलिए न्यायालय ने अर्जी को तुरंत ठुकरा दिया। बहरहाल, इन संगठनों के एतराज पर...

  • उद्योग समूह देर से सक्रिय हुए

    क्या देश के उद्योग समूहों फिक्की, एसोचैम या सीआईआई आदि को चुनावी बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक होने पर कारोबारी समूहों के नुकसान की आशंका हैं? अगर ऐसी आशंका है तो ये संगठन पहले से क्यों नहीं सक्रिय हुए? क्या पहले इनको अंदाजा नहीं था कि क्या सामने आ सकता है और उससे क्या क्या नुकसान हो सकता है? Electoral Bonds Supreme court यह भी पढ़ें: नेतन्याहू न मानेंगे, न समझेंगे! ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी दो सेट में सामने आने और उस पर बहस शुरू हो जाने के बाद अचानक सोमवार यानी 18...

  • बॉन्ड्स के नंबर 21 मार्च तक दें

    नई दिल्ली। पिछले 10 दिन में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरी बार भारतीय स्टेट बैंक को कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने देश के सबसे बड़े बैंक को आदेश दिया है कि वह 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड से जुड़ा समूचा ब्योरा दे। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 21 मार्च को शाम पांच बजे तक भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन निजी तौर पर एक हलफनामा देकर अदालत को बताएं कि उन्होंने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी कोई जानकारी छिपाई नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को बैंक से कहा था कि वह 18...

  • चुनावी बॉन्ड से आगे क्या रास्ता?

    राजनीतिक चंदे के लिए बनाई गई चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था विफल हो गई है। चुनावी चंदे को साफ-सुथरा बनाने और राजनीति में काले धन का प्रवाह रोकने के घोषित उद्देश्य से लाया गया यह कानून अपने उद्देश्य में पूरी तरह से असफल रहा है। उलटे इससे जुड़े अनेक ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं, जिससे लग रहा है कि यह अपने आप में काले धन के प्रसार का माध्यम बन गया था। हैरानी इस बात को लेकर है कि सरकार के स्तर पर इसकी विफलता को स्वीकार करने की बजाय इसका बचाव किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले...

  • बॉन्ड्स को लेकर कांग्रेस का बड़ा हमला

    नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड्स को केंद्र सरकार और भाजपा की हफ्ता वसूली योजना बताते हुए कांग्रेस ने बड़ा हमला किया है। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कम से कम 21 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की जांच चल रही है। कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने दावा किया कि चुनावी बॉन्ड के जरिए दान देने वालों में 21 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने सीबीआई, ईडी या आयकर विभाग की जांच का सामना किया है। जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि हर दिन चुनावी बॉन्ड घोटाले का सच सामने आ...

  • चुनावी बॉन्ड का नया ब्योरा

    नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिले चंदे का नया ब्योरा चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। आयोग ने अप्रैल 2019 से पहले राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले चंदे का ब्योरा सार्वजनिक किया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनाव आयोग को 12 अप्रैल 2019 से लेकर जनवरी 2024 तक के चुनावी बॉन्ड का ब्योरा दिया था, जिसे आयोग ने 14 मार्च को सार्वजनिक किया था। अब 12 अप्रैल 2019 से पहले का ब्योरा सामने आया है। electoral bonds supreme court यह भी पढ़ें:...

  • चुनावी बॉन्ड/भारत का चरित्र

    भारत कैसा और कितना अनैतिक है, इसका नया सबूत है इलेक्टोरल बॉन्ड्स! सोचें, उस हिंदू राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के उन हिंदू हरकारों पर जिन्होंने कोई सौ साल हिंदुओं को चरित्रवान, नैतिक बनाने में हिंदू स्वंयसेवकों की जिंदगियां कुर्बान करवाईं। और एक खांटी प्रचारक का दिल्ली में शासन बना तो नतीजा क्या?  Electoral bond data supreme court जुआरियों, सटोरियों, दागियों व अपराधियों से चंदा ले कर राजनीति करने, चुनाव लड़ने का सत्य। पता नहीं आरएसएस के प्रतिनिधियों को अभी नागपुर की बैठक में यह भान हुआ या नहीं कि जो संगठन, जो परिवार गुरू दक्षिणा से चलता था, उसकी पार्टी...

  • पूरा हिसाब अभी बाकी है

    सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड का हिसाब तो चुनाव आयोग को सौंप दिया है लेकिन यह अधूरा आंकड़ा है। हालांकि कहने को कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2019 से लेकर अभी तक के चुनावी बॉन्ड की खरीद बिक्री का डाटा देने को कहा था और स्टेट बैंक ने इसका पालन किया है। electoral bonds supreme court लेकिन सवाल है कि जब चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा देने का कानून 2017 में बना था और 2018 से इसे लागू कर दिया गया था तो फिर एक साल बाद से डाटा...

  • एजेंसियों के छापों से बॉन्ड वसूली

    अभी जब तक यह पता नहीं चलता है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है तब तक इसे संयोग ही मानें कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली पांच सबसे बड़ी कंपनियों में से तीन के यहां प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ने छापा मारा था। इस बात को थोड़ा और विस्तार दें तो एक आंकड़ा यह है कि 12 अप्रैल 2019 से लेकर 24 जनवरी 2024 तक यानी करीब पांच साल में जिन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीदा है उनमें से 30 सबसे बड़ी कंपनियां ऐसी हैं, जिनमें से 14 के यहां किसी न किसी केंद्रीय एजेंसियों...

  • आयोग ने जारी किया चुनावी बॉन्ड का ब्योरा

    नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई समय सीमा से एक दिन पहले गुरुवार को ही चुनावी बॉन्ड का पूरा ब्योरा अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया है। आयोग की वेबसाइट में 763 पन्नों की दो सूची अपलोड की गई हैं। एक सूची में चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दूसरी सूची में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड का ब्योरा है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को 15 मार्च तक यह ब्योरा सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। electoral bonds data यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां इससे पहले भारतीय स्टेट...

  • चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय स्टेट ने 24 घंटे के अंदर चुनावी बॉन्ड का पूरा डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है, जिसे 15 मार्च को चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक कर देगा। अब सवाल है कि उससे क्या पता चलेगा? electoral bonds यह भी पढ़ें: खट्टर के बाद किसकी बारी? क्या उससे यह पता चल पाएगा कि किस व्यक्ति या कारोबारी घराने ने कितने रुपए का बॉन्ड खरीदा और किस पार्टी  को दिया? उम्मीद ऐसी ही की जा रही है। लेकिन हो सकता है कि अभी तत्काल इसका पता नहीं चल सके। क्योंकि स्टेट...

  • चुनावी बॉन्ड का खुलासा कल

    नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड की खरीद बिक्री से जुड़ी सारी जानकारी शुक्रवार को सार्वजनिक हो जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बुधवार को श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव आयोग चुनावी बॉन्ड के बारे में सारी जानकारी समय से सार्वजनिक कर देगा। समय से सार्वजनिक करने का मतलब है कि 15 मार्च की शाम पांच बजे तक क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यही समय सीमा तय की है। electoral bonds supreme court गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने मंगलवार की शाम को एक पेन ड्राइव में डाल कर सारा...

  • कितना कुछ जाहिर होगा?

    आशंका जताई गई है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ही ऐसी बात शामिल है, जिससे कई महत्त्वपूर्ण सूचनाएं जाहिर होने से रह जाएंगी। फिलहाल, यह नहीं मालूम होगा कि किस व्यक्ति या उद्योग घराने ने किस पार्टी को कब और कितना चंदा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आम चुनाव तक इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स संबंधित विवरण पर परदा डालने की भारतीय स्टेट बैंक की कोशिश नाकाम कर दी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब 15 मार्च को स्टेट बैंक से मिली जानकारियां निर्वाचन आयोग को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होंगी। इससे देश को पता चलेगा कि इन बॉन्ड्स के माध्यम से...

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