उदयपुर।राजसमंद जिले के नाथद्वारा में घुसते ही आपको कांग्रेस के वरिष्ठ नेता-स्पीकर सीपी जोशी की विशाल होर्डिंग दिखतीं है। इन होर्डिंग में वे एक भले और सहज मिजाजी नज़र आते हैं। उनके चेहरे पर उनकी ट्रेडमार्क बालसुलभ मुस्कान है। और ऐसा नहीं है वे केवल अपनी मुस्कराहट से काम चलाना चाहते हैं। उन्होंने काम भी किया है। तभी श्रीनाथजी की नगरी अब पहले से ज्यादा चमकदार लगी। साफ़-सफाई बेहतर है और सडकें चौडीं हैं। कई आलीशान होटल और मॉल ऊग आये हैं। मगर फिर भी बताया जा रहा है कि जोशी की राह आसान नहीं है। मैं अमित शाह का रोड शो ख़त्म होने के कुछ ही बाद नाथद्वारा पहुंची। रोड शो छोटा था और भीड़ बहुत कम थी। मंदिर के पास एक चाय विक्रेता ने बताया, “अमित शाह जी आये पर वो भीड़ नहीं थी।” शाह यहाँ अपनी पार्टी की उम्मीदवार विश्वराज सिंह मेवाड़ का प्रचार करने आये थे। विश्वराज सिंह पैराशूट उम्मीदवार हैं। बाहरी हैं। वे मेवाड़ राजघराने की नई पीढ़ी के प्रतिनिधी है। भाजपा ने उन्हें अचानक उम्मीदवार बना सभी को चौंकाया और उससे पूरे मेवाड़ का दिल जीतना चाहा। पर जमीनी स्तर की गणित से दिल जीतने की केमिस्ट्री नहीं बनी दिखी।
एक तरह से राजकुमारी दीया जयपुर के विद्याधरनगर में जैसा प्रचार कर रही हैं वही विश्वराज यहाँ कर रहे हैं। वे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और डबल इंजन सरकार के वायदे के भरोसे हैं। जो लोकल नेता विश्वराज सिंह के लिए काम कर रहे हैं उनके लिए लोगों को उम्मीदवार से जोड़ना कठिन सा लग रहा है।
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इसके विपरीत, कांग्रेस के गौरव वल्लभ, बाहरी होते हुए भी उदयपुर शहर की सीट में भाजपा के ताराचंद जैन को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जैन पहली बार चुनाव मैदान में हैं और उन्हें गर्वनर बने गुलाब कटारिया के बदले लाया गया है। गौरव और कटारिया के सामने जैन फीके नज़र आते हैं और इसलिए वे लोगों से जुड़ नहीं पा रहे हैं। यही कारण है कि दीवाली के मौके पर कटारिया, जो अब असम के राज्यपाल हैं, को उदयपुर की अनाधिकारिक यात्रा करनी पड़ी। इस यात्रा के दौरान वे शहर के मेयर जीएस टांक के घर से निकलते देखे गए। बताया जाता है कि कटारिया पार्टी के पार्षदों और स्थानीय नेताओं से मिले और जनता के मूड की रणनीति बनवाई। पर उदयपुर में हल्ला है कि भाजपा मानों भारतीय जैन पार्टी। सीट पर जैन आबादी 18 प्रतिशत है,ये भाजपा की गणित की धुरी के वोट है। मगर वल्लभ भी ब्राह्मणों के वोट पाने के प्रति आश्वस्त हैं। ब्राह्मण भी आबादी में लगभग इतनी ही संख्या में है। इसके अलावा वल्लभ ने मुसलमानों और ओबीसी वोटों पर भी काम किया है। स्थानीय पत्रकार ने बताया कि वल्लभ ने छह महीने पहले से उदयपुर में काम शुरू कर दिया था। और यही कारण है कि वे भाजपा के किले में उसे गंभीर चुनौती दे पा रहे हैं।