nayaindia शोलापुर: नरेंद्र मोदी बनाम प्रणीति - नगर की राजनीति
श्रुति व्यास

मोदी की अंडरकरंट, पर काम प्रणीति का!

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शोलापुर

शोलापुर। प्रमोद धाड़वे की पुणे-शोलापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चाय की दुकान हैं – शोलापुर शहर से कोई 30 किलोमीटर पहले। वे मुझसे छूटते ही पूछते हैं- क्या मैं शोलापुर में नरेन्द्र मोदी की रैली को कवर करने जा रही हूं? ..दरअसल वे नरेन्द्र मोदी के फैन हैं।और फिर धीमी आवाज में कहते हैं, “बीजेपी को दस साल से वोट दे रहा हूं पर खासदार ने कोई काम नहीं किया”।

“फिर भी वोट भाजपा को दोगे?” मैं पूछती हूं।इसलिए क्योंकि मैं महाराष्ट्र में अब तक जहां भी गई मुझे लोगों से भाजपा के खासदारों (सांसदों) की अक्षमता और प्रभावहीनता की बातें  सुनने को ही मिलीं है। उनके खिलाफ गुस्सा लगातार बढ़ता दिख रहा है। लेकिन प्रमोद धाड़वे कुछ अलग लगा। उसे यह भी अहसासहै कि शोलापुर में भाजपा का नया उम्मीदवार राम सतपुते भी बाकी खासदारों जैसा ही साबित होगा। लेकिन वह कहता है नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना जरूरी है। “मोदी ऊपर चाहिए।”

24 साल के बलिराम शिंदे भी उनसे  सहमत हैं। उन्हें ठीक से पता नहीं है कि राम मंदिर बना है या कृष्ण मंदिर, लेकिन जो भी बना है वह मोदी जी ने बनवाया है।

शोलापुर  पश्चिमी महाराष्ट्र में विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं का मिलन स्थल  है। यहां आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर भारत के लोग मराठियों के साथ बड़ी संख्या में हैं। स्थानीय लोग इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि शोलापुर ऐसा अनूठा शहर है जहां तमिल, तेलगु, कन्नड़, हिंदी और मराठी फिल्में दिखाने वाले सिनेमाघर हैं। मिल मजदूरों का शहर होने के कारण यह विविध संस्कृतियों वाला शहर है जहां कई भाषाएं बोली जाती हैं।

सांस्कृतिक बहुलता वाला शोलापुर कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। लेकिन पिछले एक दशक में यह भाजपा का मजबूत किला बना है। विदर्भ से बारामती और सतारा होते हुए मैं जब यहां पहुंची हूं तो साफ लगा कि भाजपा के पक्ष में शोलापुर में जैसा माहौल है वैसा दूसरी किसी जगह नहीं था। दरअसल शोलापुर में लिंगायत और पद्मशाली (तेलुगू) समुदायों के लोग खासी संख्या में हैं, और ये जबरदस्त मोदी समर्थक हैं। सन् 2019 में लिंगायत संत जय सिदेश्वर शिवाचार्य को भाजपा ने सुशील कुमार शिंदे के खिलाफ मैदान में उतारा था और शिवाचार्य को बड़ी जीत मिली। सीट पर लिंगायतों के वोट निर्णायक माने जाते है। बताते है कि2019 में लगभग 85 प्रतिशत लिंगायतों ने मोदी को वोट दिया था।

मैंने लोकल पत्रकारों से पूछा क्या संत को वापिस उम्मीदवार नहीं  बनाने से भाजपा को मुश्किल नहीं होगी? जवाब था,कुछ असर होगा लेकिन “दक्षिण भारत में भले ही मोदी के प्रति ज्यादा समर्थन न हो लेकिन शोलापुर के दक्षिण भारतीय समुदाय में उनको जबरदस्त समर्थन है”।

68 साल के हरी, जिनके दांत पान के रंग में रंगे हुए हैं कहते हैं, “दस साल पहले हाथ को ठेंगा दिखाया “और गंदगी से कमल को खिलाया”। मतलब कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे की हार। शिंदे शोलापुर लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे हैं।वे जनवरी 2003 से नवंबर 2004 के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे। अब उनकी राजनैतिक विरासत 42 साल की उनकी बेटी प्रणीति शिंदे के पास हैं। प्रणीति शोलापुर मध्य सीट से तीन बार विधायक रह चुकी हैं। वे शोलापुर लोकसभा क्षेत्र की एकमात्र कांग्रेस विधायक हैं।बाकि पाँच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

मंगेश नायक नवरी शोलापुर में आटो चलाते हैं और मोदी के प्रति उनकी प्रबल निष्ठा है। लेकिन बावजूद इसके उसने कहा, “आमदार (विधायक) तो प्रणीति ही चाहिए”। और यही बात शोलापुर को उन बाकि सीटों से अलग करती है जिन्हें मैंने महाराष्ट्र में अब तक कवर किया है।

भाजपा को 2019 और अब 2024 में शोलापुर में अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा है। इस बार भाजपा ने 38 साल के राम सतपुते को प्रणीति शिंदे के खिलाफ मैदान में उतारा है। सतपुते एबीवीपी में सक्रिय रहे हैं। उन्हें फड़नवीस का नजदीकी माना जाता है। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं और मल्शिराज से विधायक भी, जिस कारण उन पर ‘बाहरी’ होने का ठप्पा लग गया है। चुनाव अभियान की शुरूआत से ही प्रणीति ने अपने अभियान को ‘लेकिन शोलापुर ची‘ (बेटी शोलपुर की) की थीम पर बुना है।प्रणीति केवल अपने काम की बात करती हैं।

न अपने पिता का नाम लेती हैं और न उनकी विरासत की दुहाई देती हैं। प्रणीति के पिता के बारे में प्रणीति से ज्यादा तो राम सतपुते बताते हैं। वे कह रहे हैं कि सब लोग यह जानते हैं कि प्रणीति के पिता समाज को धर्म और जाति के नाम पर बांटकर अपनी राजनीति करते आए हैं।

शोलापुर बहुसांस्कृतिक शहर होने के साथ ही साम्प्रदायिक हिंसा के लिए भी चर्चित रहा है। हाल में ही जनवरी 2024 में हिंसा और नफरत फैलाने की चिंगारी भड़की। तब  शोलापुर पुलिस ने तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा और महाराष्ट्र के भाजपा विधायक नीतेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन दोनों पर आरोप था कि उन्होंने केन्द्रीय वक्फ बोर्ड अधिनियम के खिलाफ आयोजित हिंदू जन आक्रोश मोर्चा की सभा में भड़काऊ भाषण दिए थे। इस विरोध ने हिंसक स्वरूप अख्तियार किया। दुकानों पर पत्थरबाजी हुई। साम्प्रदायिक हिंसा के इतिहास वाला यह बहुसांस्कृतिक नगर एक समय कांग्रेस का दुर्ग था।लेकिन इंदिरा गांधी इस संसदीय क्षेत्र में केवल एक बार आई हैं और वह भी पंढ़रपुर। अभी इस चुनाव में ज़रूर गांधी परिवार के राहुल शोलापुर आए है। वही नरेन्द्र मोदी पिछले दस सालों में नौ बार शोलापुर आ चुके हैं।

मैं शहर से बाहर निकली तो  गांव-कस्बों में माहौल अलग लगा। मोदी के क्रेज़ में कमी नजर नहीं है लेकिन  लोग मुकाबला कड़ा भी बताते है। मोदी की हवा तो है लेकिन प्रणीति ने बतौर ‘आमदार’  अच्छा काम किया है – ये दोनों बातें लोग एक सुर में कहते हैं। प्रणिति की निश्चित ही अलग इमेज है। वे अपने पिता की छत्रछाया में नहीं हैं और इस कारण लोग उनकी इज्जत करते हैं। वे शिष्ट और सभ्य हैं और डायनेमिक भी। वडवल गांव के अप्पा साहब संदेरमोरे केवल इसी कारण हाथ का बटन दबाने वाले हैं। इस तरह की बातें देहात में और भी कई लोग करते हैं।

अगर मोदी ने सड़कें बनवाईं तो आमदार के रूप में प्रणीति ने गावों में पानी पहुंचवाया।  अगर मोदी ने किसानों के खातों में दो हजार रुपये डलवाए तो प्रणीति ने औद्योगिकरण से अछूते शोलापुर के विकास की कोशिश की। स्थानीय पत्रकार बताते हैं,  एक समय शोलापुर महाराष्ट्र का मैनचेस्टर कहा जाता था। मगर अब वहां के 90 प्रतिशत कपड़ा बुनने के हैंडलूम बंद हो चुके हैं। औद्योगिक विकास के नाम पर वहां कुछ नहीं हो रहा है। सचिन नामड़े की अंगार में वेल्डिंग की दुकान हैं। और वे पहले तो मोदी की हवा की बात करते हैं मगर बिना देरी किए फिर यह भी जोड़ते हैं कि प्रणीति कड़ी टक्कर दे रहीं हैं।

वर्धा या सतारा के विपरीत शोलापुर में स्थिति साफ नहीं है। मोदी के पक्ष में अंडरकरंट है और मुकाबला मोदी बनाम प्रणीति और देश के विकास बनाम शोलापुर के विकास के बीच है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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