राजनीतिक दांव-पेंच में उलझ चुके किसी अपराधिक मामले का समाधान क्या राजनीति से ही हो सकता है ? सवाल थोड़ा टेडा है, मगर जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को ऐसा ही भरोसा है। वे तो कहते हैं कि लोहे को लोहा काटता है तो राजनीति में उलझा मामला राजनीति से ही सुलझ सकता है। जी अपन बात कर रहे हैं महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों से घिरे भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह की। पिछले एक महीने से पीड़ित पहलवान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वे गली- गली में शोर कर रहे हैं कि ब्रजभूषण सिंह को इस गंभीर मामले में जेल भेजा जाए। लेकिन राजनीति में उलझा यह मामला तूल भले पकड़ चुका हो पर समाधान अभी तक उलझा हुआ है।
अब भले सुप्रीम कोर्ट की दखल से सांसद के ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज हो चुका हो पर अगर सैंया ही मेहरबान होंगे तो अपने ब्रजभूषण को डर भी कैसा ? पर मलिक को इस मामले का समाधान राजनीति से हो जाने का दिख रहा है। सोशल मीडिया पर रूबरू हो मलिक बता रहे हैं कि इसी साल राजस्थान , छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं । राजस्थान में तो पीड़ितों की विरादरी के जाट गूजरों की संख्या भी काफ़ी है ।तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब चुनाव वाले इलाक़ों में पार्टी निपटती दिखेगी तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रजभूषण को लेकर कुछ फ़ैसला ले सकते हैं। वरना तो पुलिस अमित शाह के अधीन है और शाह की नज़दीकियां हैं ब्रजभूषण से।
और तभी यह कहा जाने लगा है कि पीड़ितों के समर्थन में आईं खाप पंचायतों से भी बात करके विधानसभा चुनावों तक मामला टालने की कोशिश करेंगे। अब पीड़ितों को न्याय कब तक मिल सकेगा,सवाल तो यह भी है। खबरें तो यह भी हैं कि पुलिस को अभी तक इस मामले में कोई सबूत नहीं मिले है ,तब फिर पुलिस इस मामले में फ़ाइनल रिपोर्ट लगाने को मजबूर हो गई तो अपने पीड़ितों को न्याय मिल भी कैसे सकेगा,सवाल यहाँ और भी टेडा हो जाता है। यह अलग बात होगी कि ऐसे हालात होते हैं तो सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में जाँच कराए और तब न्याय की उम्मीद हो सके। पर क्या पीड़ितों का नसीब ऐसा भी होगा ?