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16-06-2025 Vol 19

सरकार के 11 साल की वाहवाही कहां?

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नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार ने नौ जून के एक साल पूरे किए। इससे पहले 26 मई को उनको प्रधानमंत्री बने 11 साल हुए थे। लेकिन तीसरी सरकार के एक साल और उनके प्रधानमंत्री बनने के 11 साल का जश्न एक ही साथ शुरू हुआ। इससे ठीक पहले सरकार ऑपरेशन सिंदूर और उस पर कूटनीतिक माहौल बनाने के लिए दुनिया भर में भेजे गए डेलिगेशन का नैरेटिव बन रहा था। हालांकि भाजपा को ज्यादा मौका मिल नहीं सका। नौ जून से उत्सव शुरू हुआ था और 12 जून को अहमदाबाद में भीषण विमान हादसा हो गया। सो, सरकार को ज्यादा मौका नहीं मिला अपने प्रचार का।

फिर भी इस साल एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। टेलीविजन मीडिया की बात अलग है लेकिन प्रिंट में यानी अखबारों और पत्रिकाओं में सरकार की वाहवाही वैसे नहीं हो रही है, जैसे पहले होती थी। खास ट्रेंड यह है कि सरकार अपनी वाहवाही खुद कर रही है। यानी सरकार या तो विज्ञापन देकर 11 साल की उपलब्धियां बता रही है या सरकार के मंत्री, सत्तारूढ़ दल के सांसद आदि लेख लिख कर सरकार की उपलब्धियां बता रहे हैं। स्वतंत्र विश्लेषक या स्तंभकार अपने विश्लेषण में थोड़ी तटस्थता दिखा रहे हैं और किसी ने खुल कर सरकार की वाहवाही नहीं की है और न सरकार के नैरेटिव को आगे बढ़ाया है। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से भाजपा की सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने अंग्रेजी के एक अखबार में लेख लिखा और सरकार की 11 साल की उपलब्धियों की वाहवाही की। यह सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा के साथ साथ अंग्रेजी के उस प्रतिष्ठित अखबार का भी दिवालियापन है, जो 2014 में देश की आजादी घोषित करने वाली कंगना रनौत का लेख छाप रहा है!

बहरहाल, भाजपा सांसद कंगना अपवाद नहीं हैं। सरकार के कामकाज की वाहवाही केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने भी की है और वह भी लेख लिख कर। कंगना रनौत का लेख छापने वाले अखबार ने केंद्र सरकार के 11 साल पूरे होने के मौके पर कम से कम दो मंत्रियों के लेख छापे। अश्विनी वैष्णव और मनसुख मांडविया दोनों ने लेख लिख कर प्रधानमंत्री मोदी की जय जयकार की। केंद्र सरकार के एक अन्य मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी लेख लिखा लेकिन उनका लेख कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लेख के जवाब में था। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने लेख लिख कर महाराष्ट्र के चुनाव पर सवाल उठाया था और कहा था कि चुनाव आयोग ने मैच फिक्सिंग के जरिए भाजपा को जितवा दिया।

इसके जवाब में भूपेंद्र यादव ने लेख लिखा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी लेख लिखा। सोचें, पहले नेता राजनीति करते थे और पत्रकार उनके कामकाज का विश्लेषण करते थे। लेकिन अब ऐसा समय आ गया है कि नेता राजनीति भी कर रहे हैं, राजनीति का विश्लेषण कर रहे हैं और अपने कामकाज की वाहवाही कर रहे हैं। अखबारों को भी यह आसान रास्ता दिख रहा है। वे राहुल गांधी का भी लेख छाप देते हैं और उसके जवाब में फड़नवीस और भूपेंद्र यादव का भी लेख छाप देते हैं। इससे अखबार अपनी जिम्मेदारी से भी बच जाते हैं।

NI Political Desk

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