केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ दिन पहले कहा था कि बहुत जल्दी, हमारे जीवनकाल में ही भारत में अंग्रेजी बोलने वाले शर्मिंदा होंगे। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा का अपमान नहीं होना चाहिए। ध्यान रहे राजभाषा विभाग सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आता है, जिसके मंत्री अमित शाह हैं। उनका मंत्रालय और भारत सरकार के दूसरे मंत्रालय भी हिंदी को प्रोत्साहित कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने अपने मंत्रालय में हिंदी में ज्यादा अच्छा कामकाज करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नकद इनाम की घोषणा की है। लेकिन क्या ऐसे उपायों से हिंदी प्रतिष्ठित होने जा रही है और अंग्रेजी वाले शर्मिंदा होने जा रहे हैं?
इस हिंदी और अंग्रेजी के विवाद के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए हुई सीयूईटी की परीक्षा के नतीजे आए हैं और उसके कुछ आंकड़े भी सामने आए हैं। इस साल सीयूईटी की परीक्षा में करीब 11 लाख छात्र शामिल हुए थे। इन 11 लाख में से 8.73 लाख छात्रों ने अंग्रेजी में परीक्षा दी और सिर्फ 1.8 लाख छात्रों ने हिंदी में परीक्षा दी। सोचें, देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और उसके कॉलेजों में दाखिले के लिए 80 फीसदी से ज्यादा छात्र अंग्रेजी में परीक्षा दे रहे हैं! इसका साफ मतलब है कि आगे जो भी नीति नियंता बनेंगे या अधिकारी, कर्मचारी बनेंगे उनमें इस अनुपात से भी ज्यादा यानी 80 फीसदी से ज्यादा अंग्रेजी वालों का स्थान होगा। फिर अंग्रेजी वाले कैसे शर्मिंदा होंगे?