असम में अगले साल अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को बहुत बड़ा झटका लगा है। बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल यानी बीटीसी के चुनाव में भाजपा बुरी तरह से हारी है। भाजपा की पुरानी सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट यानी बीपीएफ ने कमाल का प्रदर्शन किया और अकेले दम पर बड़ा बहुमत हासिल किया। 40 सीटों के बीटीसी चुनाव में हागरामा महलारी की पार्टी बीपीएफ को 28 सीटें मिली हैं। गौरतलब है कि भाजपा ने बीपीएफ के साथ तालमेल किया था। लेकिन बाद में उसकी विरोधी पार्टी यूपीपीएल के साथ तालमेल करके बीपीएफ को निपटा दिया था। लेकिन पांच साल के बाद बीपीएफ ने बाउंस बैक किया है। इसका बड़ा नुकसान भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी को हुआ है।
महलारी खुद दो सीटों से लड़े थे, जिसमें से एक सीट पर जीते हैं और यूपीपीएल के नेता प्रमोद बोडो भी दो सीटों से लड़े थे और एक ही सीट पर जीते हैं। इस मामले में दोनों बराबरी पर हैं लेकिन महलारी की पार्टी ने भाजपा और यूपीपीएल को दोनों को जमीन दिखा दी है। अब विधानसभा चुनाव में नए समीकरण बनाने की जरुरत पैदा हो गई है। ध्यान रहे 2021 के विधानसभा चुनाव में बीपीएफ ने कांग्रेस के बनाए गठबंधन महाजोत के साथ चुनाव लड़ा था। बोडो इलाके में कांग्रेस ने उसके लिए 12 सीटें छोड़ी थीं, जिनमें से वह सिर्फ चार सीट जीत पाई थी। बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ भी महाजोत का हिस्सा थी। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में सब अलग हो गए थे लेकिन अब कहा जा रहा है कि अगले साल के चुनाव में एक बार फिर विपक्ष का बड़ा गठबंधन बनेगा। कांग्रेस और बीपीएफ के फिर से साथ आने की चर्चा है।


