चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है। उनको पता है कि यह जोखिम का काम है क्योंकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अगर उपचुनावों में उनकी पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएगी तो उससे माहौल बिगड़ेगा और उनकी काबिलियत पर भी सवाल उठेगा। फिर भी उन्होंने जोखिम लिया है और चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। सभी चार सीटों पर उनके उम्मीदवारों की वजह से चुनाव त्रिकोणात्मक हो गया है। वे पार्टियों के सामाजिक समीकरण को भी तोड़ रहे हैं और इससे कम से कम दो सीटों, बेलांगज और इमामगंज में बहुत हलचल है।
बेलागंज सीट राजद नेता सुरेंद्र यादव के सांसद बनने से खाली हुई है। सो, राजद ने उनके बेटे को टिकट दे दिया। जदयू ने ईडी की कार्रवाई का सामना कर रही मनोरमा देवी यादव को उम्मीदवार बनाया। वहां प्रशांत किशोर ने अहमद हुसैन को उतार दिया है। इसी तरह इमामगंज में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू एनडीए की उम्मीदवार हैं तो राजद ने रोशन मांझी को उम्मीदवार बनाया है। दो मांझी उम्मीदवारों के बीच पीके ने डॉक्टर जितेंद्र पासवान को उम्मीदवार बनाया है। सो, इन दोनों सीटों पर बहुत नजदीकी त्रिकोणात्मक मुकाबला होता दिख रहा है। रामगढ़ सीट पर भी राजपूत उम्मीदवारों के मुकाबले पीके ने कुशवाहा तो बसपा ने यादव उम्मीदवार दिया है, जिससे वहां भी लड़ाई बहुत कांटे की हो गई है। तरारी में पीके को उम्मीदवार बदलने से सेटबैक लगा, जिससे वे वहां पिछड़ रहे हैं।
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