बिहार में विधान परिषद की 11 सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। 11 मार्च तक नामांकन होना है और 11 ज्यादा उम्मीदवार हुए तो 21 मार्च को चुनाव होगा अन्यथा सभी निर्विरोध जीत जाएंगे। विधायकों की संख्या के लिहाज से परिषद की एक सीट कांग्रेस को मिलने वाली थी। लेकिन कांग्रेस को सीट नहीं मिली।
यह हैरानी की बात इसलिए है क्योंकि बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान को भी नहीं पता था कि बिहार में कोई दूसरी डील हो गई है। तभी विधान परिषद की एक सीट के एक दर्जन दावेदार दिल्ली में घूम रहे थे और पार्टी के आला नेता उनसे मिल कर आश्वासन भी दे रहे थे। लेकिन जब सूची जारी हुई तो महागठबंधन के खाते में आने वाली पांच सीटों पर राजद और सीपीआई एमएल के उम्मीदवार घोषित कर दिए।
पहले कहा जा रहा था कि महागठबंधन की पांच सीटों में से तीन राजद, एक कांग्रेस और एक सीपीआई एमएमल को मिलेगी। लेकिन राजद ने चार सीटें खुद ले लीं और एक लेफ्ट के लिए छोड़ दी। बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने अपनी राज्यसभा सीट के समय ही यह समझौता किया था। हालांकि राज्यसभा सीट पर कांग्रेस का दावा था लेकिन सीपीआई एमएल ने भी अपनी दावेदारी कर दी थी।
उसके पास 12 विधायक हैं। कांग्रेस के आला नेताओं को पता था कि एमएलसी की एक सीट राजद अपने कोटे से छोड़ेगी। लेकिन राजद ने अपने कोटे की चारों सीटें ले लीं और कांग्रेस कोटे की सीट माले के लिए छोड़ दी।