nayaindia Bihar Politics BJP बिहार में भाजपा करेगी बड़ा खेल?

बिहार में भाजपा करेगी बड़ा खेल?

Amit shah target india alliance
Amit shah target india alliance

भारतीय जनता पार्टी ने राजद के चार और कांग्रेस के दो विधायक तोड़ दिए हैं। ये छह विधायक सत्तापक्ष के साथ बैठ रहे हैं। राजद में टूट के साथ ही भाजपा बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। तभी अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने के चिर प्रतीक्षित लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। Bihar Politics BJP

गौरतलब है कि हिंदी भाषी राज्यों में बिहार एकमात्र राज्य है, जहां अभी तक भाजपा का मुख्यमंत्री नहीं बना है। दूसरी खास बात यह है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अभी तक पगड़ी नहीं खोली है। जब नीतीश कुमार 2022 में भाजपा को छोड़ कर राजद के साथ गए थे और उसके कुछ समय बाद ही सम्राट चौधरी ने भगवा पगड़ी बांध कर ऐलान किया था कि नीतीश को मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतार कर ही वे पगड़ी खोलेंगे।

पिछले दिनों नीतीश की एनडीए में वापसी हो गई और वे फिर भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। सम्राट चौधरी उनकी सरकार में उप मुख्यमंत्री बन गए लेकिन उन्होंने पगड़ी नहीं उतारी।

तभी सवाल है कि क्या वे अब भी अपनी पुरानी प्रतिज्ञा पर कायम हैं? अगर हां तो वह प्रतिज्ञा कब पूरी होगी? ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने उस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया है। राजद के चार और कांग्रेस के विधायक सत्तापक्ष के साथ बैठ रहे हैं। उनको जोड़ कर भाजपा की संख्या 84 हो जाती है। इसके अलावा जीतन राम मांझी का तालमेल नीतीश के साथ नहीं, बल्कि भाजपा के साथ है। Bihar Politics BJP

अगर उनके चार विधायक साथ आएं तो भाजपा की संख्या 88 हो जाएगी। एक निर्दलीय विधायक हैं सुमित कुमार जो सरकार के साथ हैं। उन्हें जोड़ कर संख्या 89 बनेगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के 12 विधायकों पर ऑपरेशन लोटस चल रहा है, जिसमें से दो अभी अलग हुए हैं। कम से कम चार और विधायक अगले कुछ दिन में कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं। राजद के कुछ और विधायकों के भी पाला बदलने की खबर है।

ध्यान रहे बिहार विधानसभा में भाजपा के दिग्गज नेता नंदकिशोर यादव स्पीकर हैं। सो, वे राजद, कांग्रेस के अलग होने वाले विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने की बजाय उन्हें अलग गुट के तौर पर अलग बैठने की इजाजत दे सकते हैं। अगर भाजपा और असंबद्ध सदस्यों की संख्या एक सौ पार कर जाती है तो वह नीतीश कुमार पर भाजपा का सीएम बनाने का दबाव बनाएगी।

अगर वे तैयार नहीं होते हैं उनकी पार्टी में बड़ी टूट हो जाएगी। उससे पहले भाजपा किसी न किसी तरह से राजद और कांग्रेस को इतना कमजोर कर चुकी होगी कि उसके साथ जाकर नीतीश सरकार नही बना पाएंगे। अब सबसे बड़ी पार्टी के नाते वैसे भी भाजपा की अगली दावेदारी होगी। नीतीश की पार्टी भाजपा के इस खेल को समझ रही है। Bihar Politics BJP

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