बिहार में भाजपा और जनता दल यू के नेताओं के साथ साथ एनडीए के अन्य घटक दल भी पिछले कुछ दिन से यह साबित करने में लगे थे कि राजद और कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। कहा जा रहा था कि कांग्रेस कभी भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का दावेदार नहीं स्वीकार करेगी। केंद्रीय मंत्री और एनडीए के नेता जीतन राम मांझी तो महागठबंधन बिखर जाने की भविष्यवाणी कर रहे थे। लेकिन उलटा हो रहा है।
उधर महागठबंधन की पार्टियों ने बैठक करके अपना नेता, एजेंडा आदि सब तय कर लिया है लेकिन एनडीए में घमासान छिड़ गया है। एनडीए के घटक दल अपनी अपनी बैठकें कर रहे हैं और सीटों को लेकर बयान दे रहे हैं। वह भी तब हो रहा है, जब प्रधानमंत्री बिहार के दौरे पर पहुंचने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा 24 अप्रैल को होने वाला है। उससे पहले चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा सबने राजनीति गरमाने वाले बयान दिए हैं।
बिहार एनडीए में सीटों को लेकर घमासान तेज
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने चिराग के विधानसभा का चुनाव लड़ने और उनके मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा का ऐलान किया है। वे प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के साथ अपनी नजदीकी भी दिखा रहे हैं। माना जा रहा है कि सीटों की संख्या बढ़वाने के लिए वे दबाव की राजनीति कर रहे हैं। उधर हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के समय उनको दो सीट और एक राज्यसभा देने का वादा किया गया था लेकिन एक ही लोकसभा सीट मिली। इसलिए वे विधानसभा की 30 सीटें लेंगे। पिछली बार उनको विधानसभा की सात सीटें मिली थीं लड़ने के लिए इस बार वे 30 की बात कर रहे हैं।
अब वे केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा 26 अप्रैल से वाल्मिकीनगर में अपना अधिवेशन करने वाले हैं। उन्होंने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के न्यायपालिका पर दिए बयान की आलोचना की है। भाजपा की सबसे बड़ी सहयोगी जनता दल यू ने कह दिया है कि चाहे एक सीट ज्यादा लड़ें लेकिन भाजपा से ज्यादा सीटों पर लड़ेंगे और बड़े भाई की भूमिका निभाते रहेंगे। जदयू ने यह भी कह दिया है कि सहयोगी पार्टियां अपनी सीटों के बारे में भाजपा से बात करें। अगले कुछ दिन तक भाजपा नेतृत्व को यह विवाद सुलझाना होगा।
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