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17-05-2025 Vol 19

भाजपा में कहीं कोई बगावत नहीं होनी

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पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी करने वाले कई यूट्यूबर्स, सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर और आंकड़ेबाज लोग अपने को वापस स्थापित करने के लिए शिवराज सिंह चौहान के बयानों की व्याख्या कर रहे हैं। उनकी देह भंगिमा का विश्लेषण कर रहे हैं और उनके कार्यक्रमों के आधार पर दावा कर रहे हैं कि भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है। वसुंधरा राजे को लेकर भी इसी तरह की व्याख्या की जा रही है। इनका मकसद फिर से कांग्रेस में यह हवा भरना है कि भाजपा में झगड़ा होने वाला है, जिसका फायदा कांग्रेस को होगा। इनमें से कई लोग तो ऐसे थे, जिन्होंने राजस्थान में सीएम का नाम तय होने में देरी पर लिखना शुरू कर दिया था कि वसुंधरा राजे कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में हैं।

हकीकत यह है कि भाजपा में कहीं, कोई बगावत नहीं होने वाली है। पिछले 10 साल में कितने बड़े नेता किनारे कर दिए गए क्या किसी ने बगावत की? अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के समय के लगभग सारे नेता रिटायर करा दिए गए हैं और जो अब भी सक्रिय हैं या जिन्हें कुछ मिला हुआ है वह मोदी-शाह की कृपा से मिला है। याद करें 2019 के चुनाव से पहले उमा भारती और सुषमा स्वराज को लेकर कितना हल्ला था। जब दोनों ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया तो कहा गया था कि शीर्ष नेतृत्व के दबाव में दोनों ने यह फैसला किया है। हकीकत चाहे जो हो लेकिन किसी ने कोई बयान नहीं दिया। सुषमा स्वराज का तो निधन हो गया लेकिन आज तक बहुत से लोग उमा भारती के बागी होने के इंतजार में हैं।

इसी तरह विजय रुपानी, नितिन पटेल, सौरभ पटेल, भूपेंद्र चूड़ासमा जैसे बड़े नेता गुजरात में रिटायर कराए गए। क्या किसी ने आवाज उठाई? खबर थी कि सबको कुछ न कुछ देने का वादा किया गया है लेकिन आज तक किसी को कुछ नहीं मिला है। मुख्यमंत्री और मंत्री छोड़िए सब पूर्व विधायक हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 2021 में अपनी सरकार में फेरबदल किया तो रमेश पोखरियाल निशंक, प्रकाश जावडेकर, रविशंकर प्रसाद सहित अनेक पुराने नेता सरकार से हटा दिए गए और आज तक किसी को संगठन में भी कोई जगह नहीं मिली है। राजीव प्रताप रूड़ी से भी पिछले कई सालों से लोग बगावत की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

उत्तराखंड में पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को और फिर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया लेकिन क्या किसी ने सुना कि रावत द्वय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं या कुछ बयान भी दे रहे हैं? त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद से बिप्लब देब को हटा दिया गया। हालांकि उनको राज्यसभा में भेजा गया और हरियाणा के प्रभारी भी बनाए गए लेकिन उसके बाद त्रिपुरा में चुनाव हुआ और उन्होंने वहां की राजनीति में खूब भागदौड़ की पर कोई सुनवाई नहीं हुई। कर्नाटक में बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद न अध्यक्ष बनाया गया और न विधायक दल का नेता तो उन्होंने क्या कर लिया? इसलिए वसुंधरा राजे या शिवराज सिंह चौहान भी कोई बगावत नहीं करने जा रहे हैं।

NI Political Desk

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