तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी अलग तरह से राजनीति को परिभाषित करना चाहते हैं। वे कांग्रेस के अंदर सबसे तेजी से उभरते भविष्य के नेता बताए जा रहे हैं। हालांकि उनकी पृष्ठभूमि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की है। इस तरह वे आरएसएस के रास्ते कांग्रेस में पहुंचे हैं। उन्होंने कहा है कि चुनाव लड़ने की उम्र कम की जानी चाहिए। हालांकि यह काम उनकी राज्य सरकार नहीं कर सकती है। लेकिन वे इसका क्रेडिट लेने के लिए जोर शोर से इसका ऐलान कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वे चुनाव लड़ने की उम्र 25 से घटा कर 21 साल करेंगे। यह काम तभी हो पाएगा, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी।
लेकिन ऐसा लग रहा है कि रेवंत रेड्डी ने एक एजेंडा सेट कर दिया है। वे अपेक्षाकृत युवा हैं और युवाओं को कांग्रेस की ओर खींचना चाहते हैं। उनको पता है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में युवाओं का रूझान नरेंद्र मोदी की ओर है। राहुल गांधी उनको आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं। तभी चुनाव लड़ने की उम्र 21 साल करने का दांव चलने की तैयारी है। ध्यान रहे राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने वोट डालने की उम्र 21 से घटा कर 18 साल की थी। अब कांग्रेस उसी को आगे बढ़ाना चाह रही है। कहा जा रहा है कि अखिल भारतीय स्तर पर कांग्रेस इसका मुद्दा बना सकती है। वह इस पर प्रचार करेगी कि देश के नीति निर्धारण में युवाओं की भूमिका होनी चाहिए इसलिए उनके चुनाव लड़ने की उम्र 21 साल की जाए। ध्यान रहे दुनिया के कई देशों में वोट डालने की उम्र 18 से घटा कर 16 करने पर विचार हो रहा है।