केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद कई परंपराएं बंद हो गई हैं। राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ पत्रकारों का विदेश जाना बंद हो गया है। इसी तरह सांसदों की विदेश यात्राएं भी लगभग पूरी तरह से बंद हैं या अपवाद के तौर पर ही ऐसी यात्राएं होती हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही एक परंपरा बंद हो गई थी। 2004 में भारत ने सांसदों को संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक में भेजना बंद कर दिया था। एक अपवाद 2012 का था, जब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया था।
अब ऐसा लग रहा है कि एक बार फिर यह परंपरा शुरू होने वाली है। न्यूयॉर्क में चल रही महासभा की बैठक के दौरान भारत के सांसदों का दो प्रतिनिधिमंडल जाएगा। एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं और दूसरे का डी पुरंदेश्वरी। पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाला प्रतिनिधिमंडल आठ अक्टूबर को रवाना हुआ है और इसकी यात्रा 14 अक्टूबर तक है। इसमें 15 सांसद शामिल हैं। पुरंदेश्वरी वाली कमेटी अक्टूबर के त में अमेरिका जाएगी और उसमें भी 15 सांसद होंगे। बताया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक के दौरान सांसदों के वहां होने से उनको एक्सपोजर मिलेगा। विश्व व्यवस्था को समझने की एक दृष्टि मिलेगी और दुनिया के दूसरे देशों में अपनाई जाने वाली अच्छी चीजें के बारे में जानकारी मिलेगी, जिसे भारत में भी आजमाया जा सकता है।