बिहार विधानसभा का चुनाव एनडीए बनाम ‘इंडिया’ यानी महागठबंधन का है, जिसमें जन सुराज पार्टी एक तीसरा कोण बना रही है। भले घोषणा नहीं हुई है लेकिन यह चुनाव नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव के बीच का है, जिसमें प्रशांत किशोर की दावेदारी इसे और दिलचस्प बना रही है। लेकिन इसके अलावा बिहार विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच भी है। लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला चुनाव है और पूरे देश में संभवतः विधानसभा का एकमात्र चुनाव है, जिसमें प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष दोनों इस तरह आमने सामने है। बिहार के बारे में जो बात कही जा रही है वह महाराष्ट्र या हरियाणा या दिल्ली के लिए नहीं कही जा रही थी। वहां मोदी बनाम राहुल का चुनाव नहीं हो रहा था। बिहार में हो रहा है क्योंकि बिहार में दोनों ने अपने को दांव पर लगाया। दोनों ने अपने को दांव पर इसलिए लगाया क्योंकि उनको पता है कि बिहार चुनाव का मैसेज पूरे देश में जाता है और से राजनीतिक ट्रेंड की शुरुआत भी होती है।
तभी इस साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा कई बार वर्चुअल तरीके से बिहार के अलग अलग समूहों से संवाद कर चुके हैं और योजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास आदि कर चुके हैं। आमतौर पर राहुल गांधी राज्यों के चुनाव में उस तरह से दौरे नहीं करते हैं, जैसे प्रधानमंत्री मोदी करते हैं। लेकिन बिहार इसका अपवाद है। राहुल इस साल आठ बार बिहार का दौरा कर चुके हैं और दिल्ली में कई बार बिहार के नेताओं के साथ मीटिंग कर चुके हैं। ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी इस बार रिमोट से बिहार का चुनाव संचालित कर रहे हैं। उन्होंने अपने करीबी कृष्णा अल्लावारू को प्रभारी बनाया है और अजय माकन को टिकटों की छंटनी के काम में लगाया। उसके बाद चाहे दलित का मामला हो या अति पिछड़ा का खुद आगे बढ़ कर उसमें शामिल हुए। चुनाव से पहले उन्होंने दलित प्रदेश अध्यक्ष बनाया और पिछले दिनों अति पिछड़ा समाज के लिए अलग से घोषणापत्र जारी किया।
राहुल गांधी ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के खिलाफ दो हफ्ते की यात्रा की। तेजस्वी यादव और महागठबंधन के दूसरे नेता भी उनके साथ थे लेकिन बुनियादी रूप से यह यात्रा राहुल की थी। यात्रा के बाद उन्होंने पटना में एक सभा की और वोटर अधिकार मार्च निकाला। इसके बाद बताया जा रहा है कि राहुल की पहल पर बिहार में कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्लुसी की बैठक हुई। कोई 85 साल के बाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बिहार में हुई। महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी कमान संभाले दिख रहे हैं। इसी तरह भाजपा और एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमान संभाली। बिहार के हर प्रमंडल में उनकी सभा कराई गई। एनडीए के लिए सबसे कमजोर माने जाने वाले शाहाबाद इलाके से उनकी रैलियों का सिलसिला शुरू हुआ, जो सीमांचल तक चला। उन्होंने पहलगाम कांड के बाद मधुबनी के झंझारपुर में रैली की तो उसके मोतिहारी, सीवान से लेकर पूर्णिया तक में रैली की, जहां उन्होंने हवाईअड्डे का उद्घाटन किया। मोदी ने हजारों करोड़ रुपए की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिसके बाद भाजपा ने कहा कि महिला, मोदी और मंदिर के नाम पर चुनाव लड़ा जाएगा। सो, इन तथ्यों की रोशनी में बिहार विधानसभा चुनाव को मिनी लोकसभा चुनाव की तरह देखना चाहिए।