पिछले दिनों आनंद शर्मा ने कांग्रेस के विदेश मामले के प्रकोष्ठ का जिम्मा छोड़ा तो उनकी जगह सलमान खुर्शीद को उसका प्रभारी बनाया गया। लेकिन क्या सलमान खुर्शीद भी उसी रास्ते पर नहीं हैं, जिस रास्ते पर चलने की वजह से आनंद शर्मा या मनीष तिवारी कांग्रेस नेताओं को खटक रहे हैं? आखिर सलमान खुर्शीद भी पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष रखने के लिए दुनिया के देशों में भेजे गए सर्वदलीय प्रतिनिमंडल का हिस्सा बने थे। विदेश जाकर उन्होंने जो बयान दिए थे उन पर कांग्रेस नेताओं ने खूब आपत्ति भी जताई थी।
सलमान खुर्शीद ने विदेश में जो बयान दिए उन पर कांग्रेस की ओर से इतना हमला किया गया कि उनको दुखी होकर यह कहना पड़ा कि क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है। उन्होंने कांग्रेस के ट्रोल्स को देशद्रोही बताया। इसके बावजूद उनको आनंद शर्मा की जगह विदेश मामलों के प्रकोष्ठ का जिम्मा मिला है और इस बीच उन्होंने एक लेख लिख कर अमेरिकी टैरिफ को भारत के लिए अवसर बता दिया है। अंग्रेजी के एक अखबार में छपे लेख में सलमान खुर्शीद के साथ एक और लेखक का नाम है। लेकिन मुख्य लेखक सलमान खुर्शीद ही हैं। अब सोचें, कांग्रेस पार्टी अमेरिकी टैरिफ को लेकर सरकार को घेर रही है और उसे विदेश नीति की विफलता बता रही है तो कांग्रेस का विदेश विभाग संभाल रहे सलमान खुर्शीद उसे भारत के लिए अवसर बता रहे हैं!