कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं को पहलगाम हमले पर बयान देने से रोका है। कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने सोमवार को अपनी पार्टी के नेताओं से जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर बयान नहीं देने को कहा और साथ ही यह भी कहा कि जिन नेताओं ने बयान दिया है उनका कोई मतलब नहीं है।
सोचें, कांग्रेस में क्या स्थिति है? जयराम रमेश कह रहे हैं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान का कोई मतलब नहीं है! रमेश कह रहे हैं कि शशि थरूर के बयान का कोई मतलब नहीं है! सैफुद्दीन सोज और तारिक हमीद कारा के बयान का कोई मतलब नहीं है? चलिए मणिशंकर अय्यर के बारे में मान लिया जा सकता है कि उनके बयान का कोई मतलब नहीं है। लेकन रॉबर्ट वाड्रा, सिद्धारमैया और थरूर क्या ऐसे ही लोग हैं, जिनके कहने का कोई मतलब नहीं है? फिर कांग्रेस में किसके बयान का कोई मतलब है?
रमेश ने कहा है कि सरकार की बुलाई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने अपनी बात कही और उसी दिन कांग्रेस की कार्य समिति की बैठक हुई, जिसमें पार्टी की लाइन तय की गई। पार्टी ने तय किया है कि वह सरकार के साथ है। इसलिए जो भी नेता बोल रहे हैं वह उनकी निजी राय है। रमेश के हिसाब से कांग्रेस की ओर मल्लिकार्जुन खडगे और राहुल गांधी ने जो बोला है वह मान्य होगा या अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की पदाधिकारी जो बोलेंगे उसको कांग्रेस की राय मानी जाएगी।
अब सवाल है कि कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से सरकार से जो छह सवाल पूछे हैं उसका क्या? कांग्रेस ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया और प्रधानमंत्री व गृह मंत्री की जवाबदेही तय करने की बात कही है। इसको किस श्रेणी में रखा जाएगा? जब कांग्रेस सरकार के साथ है तो फिर क्या सवाल जवाब थोड़े समय तक रोके नहीं जा सकते हैं?
कांग्रेस नेता शशि थरूर का बयान: आतंकवाद पर कार्रवाई के बाद सवाल उठाने की जरूरत
यही बात कांग्रेस के चार बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कही है। उन्होंने कहा कि इजराइल में भी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से लोगों में काफी नाराजगी है लेकिन लोग इंतजार कर रहे हैं कि हमास के साथ युद्ध खत्म हो तो सवाल पूछे जाएं। उसी तरह भारत में भी इंतजार करना चाहिए कि आतंकवादियों पर कार्रवाई हो जाए उसके बाद सरकार की कमियों पर सवाल उठाया जाए।
लेकिन मुश्किल यह है कि कांग्रेस को लग रहा है कि अगर सवाल नहीं उठाए गए तो भाजपा और उसका इकोसिस्टम देशभक्ति व राष्ट्रवाद का वैसा ही उभार ला देंगे, जैसा पुलवामा के बाद हुआ था। इसका असर बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा और अगले साल होने वाले पांच राज्यों में होगा। कांग्रेस को यह भी लग रहा है कि वक्फ कानून के बाद पहलगाम हमला ऐसा मुद्दा है, जिस पर ध्रुवीकरण कराना आसान है। इसलिए कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में अलग बात कही, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अलग बात कही और उसके बाद पार्टी के नेता अलग अलग बात कह रहे हैं।
कई जानकार नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने इतने गंभीर और संवेदनशील मसले पर सरकार के साथ होने का मैसेज बनवा दिया है और अब उसे सरकार को कठघरे में खड़ा करना है। दूसरे, अलग अलग राज्यों में नेता अपने राज्य की स्थानीय हकीकत का ध्यान रखते हुए बयान दे रहे हैं। इसलिए कांग्रेस भले उनको मना करे लेकिन बयानबाजी रूकने वाली नहीं है।
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