राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

कांग्रेस पार्टी फैसले टाल रही है

कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने पिछले साल के अंत में बेलगावी में हुए अधिवेशन में कहा था कि अगला साल यानी 2025 संगठन का साल होगा। अब यह साल आधा बीतने की ओर बढ़ रहा है और संगठन से जुड़े फैसले या तो टाले जा रहे हैं या कछुआ चाल से किए जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का हिमाचल प्रदेश में संगठन नहीं है यानी प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं है।

हरियाणा में विधायक दल का नेता नहीं है। बिहार, ओडिशा सहित कई राज्यों में प्रदेश की कार्य कारिणी नहीं है यानी पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं हुई है। कर्नाटक में संगठन के अंदर टकराव के कारण यथास्थिति बनी हुई है। प्रियंका गांधी वाड्रा अब भी बिना किसी प्रभारी के महासचिव बनी हुई हैं। किसी को पता नहीं है कि कांग्रेस कब तक इस बारे में फैसला करेगी।

पहले हिमाचल प्रदेश की बात करें तो कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को हटा दिया। लेकिन उनकी जगह नया अध्यक्ष नहीं नियुक्त किया गया। राज्य सरकार में भी फेरबदल होनी है और प्रदेश में बोर्ड व निगम की नियुक्तियां भी लगातार टल रही है। ध्यान रहे उत्तर, पूर्व और पश्चिम सब मिला कर हिमाचल प्रदेश एकमात्र राज्य है, जहां कांग्रेस का अपना मुख्यमंत्री है। लेकिन वहां पार्टी कोई फैसला नहीं कर पा रही है।

कांग्रेस संगठन में अब भी सुस्ती जारी

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री औरर हाली लॉज यानी दिवगंत वीरभद्र सिंह के परिवार के बीच ऐसा टकराव चल रहा है, जिससे फैसले नहीं हो रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह की अनदेखी नहीं कर सकती है।

पहले भी बगावती तेवर दिखा कर परिवार ने कांग्रेस आलाकमान के चेतावनी दे दी थी। मुश्किल यह है कि कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह को उप मुख्यमंत्री नहीं बना सकती है क्योंकि ब्राह्मण उप मुख्यमंत्री रखना मजबूरी है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री सुक्खू प्रदेश अध्यक्ष का पद प्रतिभा सिंह के खेमे में नहीं जाने देना चाहते हैं।

इसी तरह का टकराव कांग्रेस के शासन वाले दूसरे राज्य कर्नाटक में है। वहां चार साल से ज्यादा समय से डीके शिवकुमार प्रदेश अध्यक्ष हैं और पिछले दो साल से उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उनकी जिद है कि वे प्रदेश अध्यक्ष का पद तभी छोड़ेंगे, जब उनको मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।

दूसरी ओर सिद्धरमैया और उनका खेमा अड़ा हुआ है कि किसी तरह से वे मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ेंगे। सोचें, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का राज्य है लेकिन वे वहां फैसला नहीं करा पा रहे हैं। राज्य में सरकार बने दो साल हो गए हैं और अगले छह महीने बहुत अहम हैं क्योंकि ढाई साल पर सीएम बदलने के कथित फॉर्मूले को लेकर शिवकुमार खेमा दबाव बनाए हुए है।

बिहार में चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया। अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह राजेश राम को अध्यक्ष बनाया गया। अध्यक्ष बदलने के बाद जिला अध्यक्षों की नई सूची जारी हुई। कहा जा रहा था कि जल्दी ही प्रदेश पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी। लेकिन सब ठंडा पड़ गया।

बिहार में पिछले पांच साल से प्रदेश कमेटी का गठन नहीं हुआ है। इस बीच तीन अध्यक्ष और तीन प्रभारी बदले। ओडिशा और झारखंड में भी प्रदेश अध्यक्ष कमेटियों का गठन नहीं कर पाए हैं। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के आठ महीने बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं तय कर पाई है। वहां प्रदेश अध्यक्ष भी बदला जाना है लेकिन वह फैसला तभी होगा, जब विधायक दल के नेता का होगा।

Also Read: हुड्डा के आगे फिर झुकेगा कांग्रेस आलाकमान!
Pic Credit: ANI

Tags :

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *